Variable Load on Power Station in Hindi, Effect of Variable Load on Power Station in hindi

सितंबर 01, 2018
Variable Load on Power Station , Effect of Variable Load on Power Station इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं कि, हमारे Power Station ने Electric Load का Variation क्यों होता है? क्या आपको पता है की पूरे दिनभर में हमारे Power Station में Electric Load का Variation होता रहता है, ऐसा क्यों होता है ये आपको इस पोस्ट में जानने को मिलेगा| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Variable Load on Power Station in Hindi
Electrical Power Station 

Electrical Generating Station

भारत के Electrical Generating Station में लगभग 11kV Electricity Generate की जाती है| इस 11kV को Transformers की मदद से 220kV या फिर 400kV में Step Up किया जाता है| Voltage का Step Up निर्भर करता है की हमको Electrical Power को Generating Station से कितनी दूर लेकर जाना  है, फिर उसके बाद निश्चय किया जाता है की Voltage को 66kV, 220kV या फिर 400kV कितना बढ़ाना  है|



Load Variation on Power Station 

Electrical Load का Variation सीधे - सीधे Consumer की वजह से होता है, यानी की हमारी वजह से होता है| अगर हम अपने घरों की बात करें तो हम अपने घरों के maximum appliances को कब चालू करते हैं  या फिर हमारे घरों का maximum load कब रहता है? अगर आप घर के load पर ध्यान देंगे तो पाएंगे की आपके घर का load दिन में 12 से 4 बजे के बीच और शाम  को 8 बजे से 10 बजे के आस पास सबसे ज्यादा रहता है| हमारे घरों का load बढ्ने  की वजह से power stations में भी load कम और ज्यादा होता रहता है| जिस तरह से हमारे घरो का Load पूरे दिन एक सामान नहीं रहता ठीक उसी प्रकार से power stations का भी load दिन भर में एक सामान नहीं रहता क्योकि power stations के load का variation, consumer पर निर्भर करता है|

अगर आप ऊपर  दिखाए ग्राफ  को ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखेगा की power stations में किस तरह से पूरे दिन भर में load कम और ज्यादा होता रहता है|

Advantages and Disadvantages of variable load on power stations 

जो Electrical Generating stations होते हैं  वहाँ पर हम Alternator की मदद से लगभग 11kV generate करते हैं , और फिर बाद में इस Voltage का step up किया जाता है| Generating Stations में जब maximum load होता है तो वहां पर Alternators की संख्या बड़ा दी जाती है ताकि maximum demand को पूरा किया जा सके| लोड के कम या ज्यादा होने से Generating cost बड़ जाती है|


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Variable Load on Power Station in Hindi, Effect of Variable Load on Power Station in hindi Variable Load on Power Station in Hindi, Effect of Variable Load on Power Station in hindi Reviewed by Joshi Brothers on सितंबर 01, 2018 Rating: 5

Why dc supply used in Sub Station in Hindi, Battery bank in Sub Station hindi. Full Explain

अगस्त 29, 2018
Why dc supply used in Sub Station in Hindi, Battery bank in Sub Station hindi. क्या आपको पता है की जो हमारे Sub Station होते है उनमे हम Controlling के लिए DC Supply का इस्तेमाल करते हैं| किसी भी Machine के Electrical Panel की वायरिंग करते समय भी यही ध्यान में रखा जाता है की जहां तक हो सके Controlling में DC Supply का इस्तेमाल किया जा सके| लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है ? जब हमारे पास AC Supply होती है तो भी हम DC Supply को क्यों इस्तेमाल करते है ? इस पोस्ट में आपको यही जानने को मिलेगा, तो आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें ताकि आप कुछ भी मिस ना कर दें| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Why dc supply used in Sub Station in Hindi
DC Supply in Sub Station

AC and DC Supply in Controlling


अगर अभी आप किसी कंपनी में नौकरी  कर रहे हैं  तो आपको अच्छे से पता होगा की हम किसी भी मशीन की controlling के लिए AC और DC दोनो Supply को इस्तेमाल करते हैं , कही पर AC इस्तेमाल की जाती है तो फिर किसी पैनल में DC को इस्तेमाल किया जाता है| अब सवाल ये उठना चाहिए की जब हमारे पास AC Supply पहले से ही होती है, तो फिर हमको DC Supply की जरुरत क्यों पड़ती है ? किसी भी Sub Station, Distribution Station या फिर किसी Machine के Control में Control Wiring करने का सबसे बड़ा कारण होता है Safety, क्योकि Control wiring की तारें पूरी मशीन में हर जगह जाती है, अगर गलती से भी कोई wire मशीन की बॉडी के साथ टच हो गया तो इससे मशीन के ऑपरेटर को तो करंट लगेगा ही साथ के साथ हमारी मशीन के खराब होने के चांसेस बाद जाते है| हमेशा कोशिश  यही रहती है की किसी भी मशीन की control wiring DC में की जाए ताकि Accident की संभावना  को कम किया जा सके|


DC Supply in Sub Station


आपको शायद  पता ना हो की Sub Station के अंदर Battery Bank रखे जाते हैं  जिनकी मदद से किसी भी Circuit Breaker को ON या OFF किया जाता है| अब सवाल ये पैदा होना चाहिए की AC सप्लाई के होते हुए  भी हम DC Supply को क्यों इस्तेमाल करते हैं  ? Battery bank के लिए बहुत सारी बैटरी लगाई जाती है तो फिर इन बैटरी  की जरुरत क्यों पड़ती है ? Sub Station में DC Supply इस्तेमाल करने का मुख्य कारण होता है की जब भी हमको Sub Station में किसी भी मशीन की supply off करनी हो तो आसानी से कर सकें और अगर कभी किसी फाल्ट या maintenance की वजह से पूरे sub station की supply off कर दी जाए तो हमारे पास backup में पावर होनी चाहिए जिससे की हम अपने Circuit breakers को operate कर सकें| दूसरा सबसे बड़ा कारण जैसा की हमने आपको पहले ही बताया था की safety होती है, हम हमेशा यही चाहते हैं  की हम मशीन और ऑपरेटर दोनों को भी सेफ्टी प्रदान करवा सकें इसलिए हम Sub Station और लगभग अपनी सभी मशीनों में Controlling के लिए DC Supply  को इस्तेमाल करने की कोशिश  करते है |

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Why dc supply used in Sub Station in Hindi, Battery bank in Sub Station hindi. Full Explain Why dc supply used in Sub Station in Hindi, Battery bank in Sub Station hindi. Full Explain Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 29, 2018 Rating: 5

Difference between Neutral Wire and Earthing Wire in hindi. Full Detail about Neutral and Earthing

अगस्त 25, 2018
Neutral Wire and Earthing Wire के बीच का अंतर . Neutral and Earthing की जानकारी . क्या आपने कभी सोचा है की  Neutral Wire और Earth Wire के बीच क्या अन्तर है| Difference between Neutral and Earthing Wire ये Question Interview में अक्सर पूछा जाता है, तो चलिए जान लेते हैं की  इन दोनों Wire के बीच क्या अन्तर है और इनके Connection कहाँ और क्यों किए जाते है ? अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Difference between Neutral Wire and Earthing Wire in hindi
Neutral and Earthing

Two Wire, Three Wire and Four Wire System


आपने देखा होगा की  जो हमारे घरों मे  Appliances लगे होते हैं , उनकी Supply Wire या तो Two core की होती है या फिर Three core की होती है। जो wire two core की होती है वो Neutral और phase के लिए बनाई जाती है, लेकिन Electric Iron, Heater और वो सभी Appliances जिनकी Body Metal की बनी होती है उन सभी Appliances के लिए Three core की wire का इस्तेमाल किया जाता है। three core की wire को इस्तेमाल करने का मुख्य कारण होता है हमारी  safety, मतलब की three core की wire में दो wire phase और neutral के होते हैं  लेकिन तीसरी wire Earthing के लिए इस्तेमाल की जाती है। किस wire को कहाँ पर जोड़ना है ये हम इनके Color Code से पहचान सकते है, जैसे कि Red or Brown wire को हम Phase supply के लिए इस्तेमाल करते हैं , Black Wire को हम Neutral के लिए इस्तेमाल करते हैं  और Green wire को हम हमेशा Earthing के लिए इस्तेमाल करते हैं । ये तो हुई बात Three core wire की, लेकिन अगर हम किसी Company की बात करें तो Company में Three Phase System चलता है यहाँ ज्यादातर Machines Three Phase पर चलती है, इसलिए यहां Four Core की Cable को इस्तेमाल किया जाता है। इन चारों wire के connection हम इनके color code से कर सकते हैं  जैसे कि Red wire को R से, Yellow wire को Y से और Blue wire को B से जोड़ा जाता है, क्योकि three phase supply में तीनों phase R, Y और B होते हैं । अब बची तीसरी wire तो इसको Neutral के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

Why use Neutral Wire (न्यूट्रल वायर को क्यों इस्तेमाल किया जाता है?)


Single Phase पर किसी भी Appliances को चालू करने के लिए neutral or phase दोनों wire का सही से जुड़े होना जरूरी होता है, क्योकि Neutral wire ही single phase में circuit को पूरा करता है। जैसा कि आपको पता होगा कि D.C में current, positive से negative की तरफ flow होता है इसी प्रकार A.C में भी current phase wire से neutral wire को तरफ flow होता है, अगर कही बीच से neutral टूट जाए या किसी अन्य वजह से circuit पूरा नही हुआ तो हमारा load चालू नही होगा तो हम कह सकते हैं  कि Neutral Wire Circuit को पूरा करता है।

Why use Earthing Wire (अर्थिंग वायर क्यों इस्तेमाल की जाती है?)

Why use Earthing in Hindi
Earthing


Earthing जिसको हम Grounding भी बोलते हैं , इसको इस्तेमाल करने का बस एक ही कारण होता है और वो है Safety. किसी भी Machine या हमारे घरों के Appliances जिनकी body metal की बनी हो, उनकी body को Earthing Wire से जरूर जोड़ा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि अगर machine में किसी वजह से phase wire machine की body से touch हो जाए तो इस condition में किसी भी तरह से sock लगने का खतरा ना बने। machine की body को earth करने के ये leakage current, earthing wire की मदद से ground हो जाता है और human body को किसी भी खतरे से बचाता है। Earth Wire को ही Ground Wire भी बोला जाता है जैसे कि Earthing और Grounding एक ही है।

अगर आप इस topic के बारे में ज्यादा detail में जानना चाहते हैं  तो आप Wikipedia पर भी पढ़ सकते हैं ।

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Difference between Neutral Wire and Earthing Wire in hindi. Full Detail about Neutral and Earthing Difference between Neutral Wire and Earthing Wire in hindi. Full Detail about Neutral and Earthing Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 25, 2018 Rating: 5

How does an inverter work in hindi? Inverter Working fully explain.

अगस्त 22, 2018
इंवर्टर कैसे कार्य करता है ? Inverter Working आज के समय में लगभग हर किसी के घरों में आपको Inverter मिल जाएगा| Inverter एक ऐसी Machine है, जिसको इस्तेमाल करने से हमको Electrical Energy में Backup मिल जाता है, और Inverter व् Battery की मदद से हमको 24 घंटे बिजली की सुविधा मिल जाती है| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते है, तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Inverter Working in hindi
Inverter

Inverter Working


Inverter एक ऐसी machine है जो D.C Energy को A.C Energy में बदलता है और A.C Supply को DC में बदलता है। Inverter इस्तेमाल करने का मुख्य कारण A.C Supply को D.C Supply में बदलना होता है। D.C Supply को A.C Supply ने बदलने के लिए Electronics Circuit का इस्तेमाल किया जाता है या फिर आजकल IGBT Base वाले Inverter Market में आ रहे है। इन Inverter में IGBT D.C Supply को A.C Supply में बदलने का काम करता है। जैसे कि हम सब जानते है कि D.C Supply ने Frequency Zero होती है और A.C Supply के लिए भारत में Frequency 50Hz है। Battery, Solar Panel या फिर किसी अन्य Source से मिलने वाली D.C Supply की Frequency IGBT की मदद से Zero से 50Hz की जाती है। Frequency 50Hz का मतलब है कि, मान लीजिए 12V DC Supply की 2 IGBT की मदद से Switching कराई जाती है और ये IGBT 1 second में 50 बार ON और OFF होते है जिसकी मदद से ये 12V D.C Supply, 12V A.C Supply में बदल जाती है। इस बदली हुई  12V AC Supply को Step Up Transformer की मदद से बड़ाया जाता है और फिर इस Supply को इस्तेमाल में लाया जाता है। इस प्रकार एक Inverter काम करता है और Inverter को Automatic बनाने के लिए उसमे कुछ Relay भी इस्तेमाल की जाती है, जैसा की आपने अपने घरों में देखा होगा जैसे ही AC Supply जाती है तो तुरंत Inverter ON हो जाता है और हमको Continue Supply मिलती रहती है। अब बात आती है A.C को DC में बदलने की तो इसके लिए Inverter में Rectifier लगे होते है। Battery Charge करने के लिए हमको 12V DC Supply की आवश्यकता होती है जोकि Inverter की मदद से किया जाता है। Inverter में एक Step Down Transformer लगा होता है जो सबसे पहले 220V AC को 12V AC में बदलता है उसके बाद Rectifier इस 12V AC को DC में बदलते है। Rectifier से DC बनने के बाद इस DC Supply को Capacitors की मदद से Pure DC Supply में बदला जाता है और फिर उसके बाद इस Voltage से Battery Charge की जाती है।

Why Inverter Important. (Inverter क्यों जरूरी है ?)


आज के समय मे अगर हम अपने घरों के Light और Fan जैसे Load को Solar Panel लगा कर Solar से जोड़ दे तो हम अपने घर का लगभग 75℅ बिजली का बिल बचा सकते हैं , इसके लिए हमको solar plate लगानी होती है। Inverter लगभग हम सभी के घरों में होते हैं  सोचिए अगर हम उस Inverter के साथ Solar Panel भी लगा ले तो हम कितनी बिजली बचा सकते है। Solar Panel Output में D.C Voltage देता है हम इस Voltage से अपनी Battery Charge कर सकते है और फिर उस Voltage को AC में बदलकर use में ले सकते हैं । 100W के Solar Panel की कीमत लगभग 4000 रुपए होती है। आप अपने घरों में Inverter, Battery के साथ - साथ Solar Panel भी लगा सकते हैं  इससे आपको 24 घण्टे Power तो मिलेगी ही साथ के साथ आपके घर का लगभग 75% बिजली का बिल भी बच सकता है।

अगर आप Inverter के बारे में ज्यादा डिटेल में जानना चाहते हैं  तो आप Wikipedia पर भी पढ़ सकते हैं ।

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How does an inverter work in hindi? Inverter Working fully explain. How does an inverter work in hindi? Inverter Working fully explain. Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 22, 2018 Rating: 5

Solar Photo-Voltaic Cell Working. Solar Power Plant. HINDI |fully explain|

अगस्त 19, 2018
Solar Photo-voltaic Cell Working. Solar Power Plant इस पोस्ट में हम Solar Photo-Voltaic Cell के बारे में बात करेंगे, की Solar Photo-Voltaic Cell किस तरह से काम करता है,और Solar Photo-Voltaic Cell किस तरह से सूरज की रौशनी को Electrical Energy में बदलता है| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Solar Photo-voltaic Cell Working Hindi
Solar Power Plant Installation

भारत में सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant in India)

आज के समय में भारत में solar power plant बहुत ही तेजी से बड  रहा है| क्योकि भारत में साल के लगभग 8 से 9 महीनों तक मौसम साफ़ रहता है और सूरज की रौशनी सीधे  धरती पर पड़ती है, इसलिए यहाँ पर Solar Power Plant को आजकल ज्यादा महत्व दिया जा रहा है| चलिए समझने की कोशिश  करते हैं  की Solar Power Plant किस तरह से काम करता है|

सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant)

Solar Photo-Voltaic Cell एक ऐसा Device है जो सूरज की रौशनी को सीधे ही Electrical Energy में बदलता है| Solar Photo-Voltaic Cell से जो Electrical Energy हमको मिलती है वो D.C (Direct Current) होता है, फिर उस D.C (Direct Current) को Inverter की मदद से A.C (Alternative Current) में बदलता है और फिर उस A.C को इस्तेमाल किया जाता है| 

सोलर फोटोवोल्टेक सेल (Solar Photo-Voltaic Cell)

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Solar Photo-Voltaic Cell Working. Solar Power Plant. HINDI |fully explain| Solar Photo-Voltaic Cell Working. Solar Power Plant. HINDI |fully explain| Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 19, 2018 Rating: 5

Neutral Wire in Our Home. HINDI Neutral Wire in Sub-Station

अगस्त 17, 2018
Neutral Wire in Our Home. कभी आपने सोचा है की जो Neutral Wire हमारे घरों तक आता है वो कहाँ से आता हैं ? ये सवाल अक्सर Interview में पूछ लिया जाता है की जो Neutral Wire हमारे घरों तक आता है वो Wire कहाँ से आता है | इस पोस्ट में आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा और ये टॉपिक आपका बहुत अच्छे से क्लियर भी हो जाएगा | अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं, तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Neutral Wire in sub stations
Neutral Wire

Electrical Transmission 

Electricity को Generate करने के बाद हमको इस वोल्टेज को Step up करके ट्रांस्मिट करना पड़ता है|, क्योकि हम Electricity 11KV में Generate करते हैं| अक्सर हमको लगता है की हम Neutral Wire को भी ट्रांस्मिट करते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है| हम A.C THREE PHASE SUPPLY, R Y और B को ही ट्रांसमिट करते है| Neutral Wire को ट्रांस्मिट ना करने का मुख्य कारण यह है कि हम पहले से ही Three Phase System को ट्रांस्मिट करते हैं  और अगर Neutral Wire को भी ट्रांस्मिट करना पड़ जाए तो एक Wire की Cost बड़ जाएगी इसलिए हम Neutral Wire को ट्रांस्मिट नही करते, इससे हमारी Transmission cost बड़ जाएगी और Neutral Wire को ट्रांसमिट करने की जरूरत भी नही होती।

Electrical Distribution

Electrical Transmission की तो हमने बात कर ली और ये भी जान लिया कि हम Neutral Wire को ट्रांस्मिट नही करते तो क्या हम Neutral Wire को Distribute करते है ? जी नही हम Neutral Wire को Distribute भी नही करते। जब Three Phase R, Y और B ट्रांस्मिट किया जाता है तो Sub station में Transformer लगे होते हैं  जो उस High Voltage को Step Down करते हैं  और फिर वह  Voltage Costumer को दी जाती है। लेकिन Sub-Station से भी Distribution के लिए सिर्फ तीन Wire ही आती हैं  Neutral Wire वहाँ से भी नही आता।


Neutral Wire

आपके घरों के आस पास कोई ना कोई Transformer जरूर लगा होगा, अगर वो Transformer कभी खराब हो जाता होगा तो आपकी घर की बिजली भी चली जाती होगी।
Delta Star Connection Transformer
Delta - Star Connection


आपके घरों में जो Neutral Wire आ रही है वो Wire उसी Transformer से आ रही है। होता ये है कि हम सिर्फ तीन wire को ही एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते है और जब हमको Customer को supply देनी होती है तो उस समय हम कुछ customer के लिए एक Transformer लगा देते है। आपने Transformer में Delta - Star Connection के बारे में जरूर पढ़ा होगा। Transformer में भी Primary side Delta Winding और Secondary side Star Winding की जाती है। Secondary side Star Winding करने का मुख्य कारण यह होता है की  Star Winding से हमको Neutral Wire मिल जाती है, तो इस प्रकार से हमको Neutral Wire मिल जाती है। अगर हम इसी Neutral Wire को Generating Station से लेकर आते तो सोचिए की  एक Wire की Cost बिना वजह बड़ जाती।



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What is Rectifier and how it work in hindi. Bridge Rectifier

अगस्त 10, 2018
What is Rectifier and how it work in hindi. Rectifier एक ऐसा Electronics Component है जो आज के समय मे हर किसी Electrical and Electronics Appliances and Machines में इस्तेमाल होता है। Rectifier का मुख्य काम A.C (Alternative Current) को D.C (Direct Current) में बदलना होता है। इसको किसी भी Circuit में इसलिए ही इस्तेमाल किया जाता है ताकि हम A.C supply को D.C में बदल सकें। Rectifier को बनाने के लिए हम Diodes का इस्तेमाल करते हैं । Diodes ही एक ऐसा Component है जो A.C को सीधे D.C में बदलता है। Rectifier के भी कुछ प्रकार होते हैं , और इनको हम अपने Load के हिसाब से सेलेक्ट करते हैं । अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is Rectifier and how it work in hindi.
Bridge Rectifier

Rectifier के प्रकार (Types of Rectifier)


  1. Half Wave Rectifier
  2. Full Wave Rectifier
  3. Bridge Rectifier

1. Half Wave Rectifier

Half Wave Rectifier के Working Principle को जानने से पहले हम ये जानते हैं  कि Half Wave Rectifier बनते कैसे हैं । जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि Rectifier को बनाने के लिए हमें Diodes की जरूरत पड़ती है। Half Wave Rectifier को बनाने के लिए हम सिर्फ एक ही Diode को इस्तेमाल में लाते हैं। इस प्रकार के Rectifier कम power के लिए बनाए जाते हैं  और ज्यादातर इनको Single Phase Power Supply पर इस्तेमाल में लाया जाता है। जैसा कि हमको इसके नाम से ही पता लग रहा है कि Half Wave Rectifier A.C Supply की सिर्फ Half Wave को ही Rectify करता है। ये या तो A.C की Positive cycle को Rectify करेगा या फिर Negative cycle को। किसी भी एक cycle के Rectify हो जाने के बाद दूसरी cycle को ब्लॉक कर दिया जाता है, इस प्रकार इस Rectifier से हमको A.C की सिर्फ Half Wave ही Rectify होकर मिलती है।

2. Full Wave Rectifier


Full Wave Rectifier को बनाने के लिए दो Diodes का इस्तेमाल किया जाता है ये Rectifier, Half Wave Rectifier से ज्यादा power के होते हैं  और इनको भी single phase supply पर इस्तेमाल किया जाता है। full Wave Rectifier ज्यादातर इस्तेमाल किए जाते हैं  क्योंकि ये Rectifier, A.C Supply को बिल्कुल pure D.C Supply में बदल देते हैं । हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले T.V, Mobile Charger, D.C fan जैसे सभी उपकरणों में इन Rectifiers का इस्तेमाल किया जाता है।

3. Bridge Rectifier

Bridge Rectifier को हमेशा high power, accuracy और बिल्कुल pure D. C supply के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें चार Diodes का प्रयोग किया जाता है। Bridge Rectifier भी Full Wave Rectifier होता है। ये भी A.C Supply को बिल्कुल pure D.C Supply में बदलता है।

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What is Rectifier and how it work in hindi. Bridge Rectifier What is Rectifier and how it work in hindi. Bridge Rectifier Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 10, 2018 Rating: 5

Star and Delta Winding in Transformer Hindi. Star Delta winding

अगस्त 08, 2018
Star and Delta Winding in Transformer Hindi, Transformer में दो तरह की Winding होती है, Star and Delta. अब कौन सी Winding कहाँ पर की जाती है ये आपको इस पोस्ट में देखने को मिलेगा। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं,, क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Star and Delta Winding in Transformer Hindi.
Star and Delta Winding

Star Winding in Transformer

Star Winding को हम Distribution Transformer में इस्तेमाल करते हैं , Star Winding को इस्तेमाल करने का मकसद Neutral होता है। जैसे कि जो आपके घर के आस पास Transformer है वो एक Distribution Transformer है और उस Transformer में Star Winding की गई होगी। जब हमको Customer को Electrical Supply देनी होती है तो हम Customer को एक Phase Wire और एक Neutral Wire देते हैं, क्योंकि हमारे घरों का सभी load, Single Phase पर Operate होता है। लेकिन जब हम Industrial Areas में Electricity Distribute करते हैं  तो ज़्यादातर कंपनी  के खुद के Transformer होते हैं  और उन Transformer में Primary side Delta Winding और Secondary side Star Winding की गई होती है।

Delta Winding in Transformer



Delta Winding को Transmission में इस्तेमाल होने वाले Transformers में इस्तेमाल किया जाता है। इस जगह Star Winding इसलिए इस्तेमाल नही की जाती क्योकि यहाँ पर हमको Neutral Wire की कोई जरूरत नही होती। Delta Winding को इस्तेमाल करने से Transmission की Cost कम हो जाती है। हमारे घरों के आस पास लगे Transformer की Primary side Delta Winding होती है और Secondary side Star Winding होती है।


Star - Star Winding


Star - Star Winding में Transformer के दोनों side Star Winding होती है, मतलब की Transformer की Primary और Secondary दोनों side Star Winding इस्तेमाल की जाती है। इस प्रकार की Winding को भी ज्यादातर Distribution में इस्तेमाल किया जाता है।

Delta - Delta Winding


Delta - Delta Winding में Transformer के दोनों side मतलब की Primary side और Secondary side Delta Winding की जाती है। इस Winding को Transmission में इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि Transmission में Neutral की कोई जरूरत नही पड़ती।

Delta - Star Winding


Delta - Star Winding में Transformer के एक side Delta Winding और दूसरी side Star Winding की जाती है। Transformer के Primary side Delta और Secondary side Star Winding की जाती है। इस Transformer को Distribution में इस्तेमाल किया जाता है। आपके घरों के आस - पास जो Transformer होगा उसमें यही Winding इस्तेमाल की गई होगी।

Star - Delta Winding


Star - Delta Winding में Transformer के एक side Star Winding और दूसरी side Delta Winding की जाती है। Transformer के Primary side Star और Secondary side Delta Winding की जाती है। इस प्रकार की Winding वाले Transformer काफी कम इस्तेमाल किए जाते हैं ।

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Star and Delta Winding in Transformer Hindi. Star Delta winding Star and Delta Winding in Transformer Hindi. Star Delta winding Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 08, 2018 Rating: 5

What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi

अगस्त 07, 2018
What is Electrical Timer, Timer Working and Connection in Hindi:- Electrical Automation जैसे कि जब भी हम किसी Machine को चलाने के लिए या फिर किसी machine पर अगर 100 Operation होते हैं तो वो सभी Operation सिर्फ एक Switch को दबाकर हो रहे हो तो वो Automation है। Electrical Automation में Timer बहुत ज्यादा Important होता है। Timer, PLC (Programmable Logic Control) और RLC (Relay Logic Control) दोनों में इस्तेमाल किया जाता है। यहां आपको timer के Working और Connection के बारे में जानने को मिलेगा। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi
Electrical Timer

Timer क्या है और Timer कैसे काम करता है (What is Timer ? Working Principle of Timer)


Timer एक ऐसी Device है जो कि किसी भी machine जैसे कि Motor etc. को कुछ समय के बाद बन्द कर दे या चालू कर दे। जैसे कि हम Star - Delta Starter में Motor को पहले Star में चलाते हैं  और फिर कुछ second के बाद delta में चलाते हैं , तो इसमें Star Contactor को off करके delta contactor को on करने का काम timer का होता है। माना हमने timer में 30 sec. का समय डाल दिया तो जैसे ही timer को supply voltage मिलेगी timer star contactor को ON कर देगा और फिर ठीक 30 sec. के बाद star को OFF करके delta contactor को ON कर देगा। Timer में A1 और A2 इसकी Coil के terminal होते हैं  जिसमे supply voltage देकर coil को magnetize किया है। आजकल Electronics Timer आते हैं , लेकिन इनके अंदर भी Relay इस्तेमाल किया जाता है और Relay की Coil को supply दी जाती है। Coil के Terminals के अलावा इसमें NO (Normally Open) और NC (Normally Close) भी होते हैं । जिसमे Connection करके हम किसी भी load को ON या OFF करवा सकते हैं ।

Timer की Coil ज्यादातर 220V AC में होती है। A1 और A2 वाले Terminal में Coil की wire जोड़ी जाती है। Phase wire को A1 में और Neutral Wire को A2 में जोड़ा जाता है। किसी - किसी Timer में दो NO और दो NC होते हैं  और किसी - किसी मे सिर्फ एक - एक ही NO, NC होते हैं । जिस timer में दो NO, NC होते हैं  उसमें दो slots होते हैं , जैसे कि पहले Slots में एक terminal comman, एक NO और एक NC होता है। comman वाले terminal में हम supply voltage का wire connect करते है  और जिस लोड हमने सिर्फ कुछ समय तक ही चलाना है उसके connection हम NC से करते हैं  और जिस load को हमने कुछ समय के बाद चलाना है उसको हम NO terminal से जोड़ते है। Timer में आपको Comman, NO और NC वाले terminals कौन से है जानने के लिए Timer में Circuit Diagram मिल जाएगा या फिर आप सीधे ही Multi-meter से check कर सकते हैं । इस प्रकार से आप किसी भी timer के connection कर सकते हैं ।

अगर आपके दिमाग  में Timer से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमसे Comment करके पूछ सकते हैं  या फिर Youtube पर हमारी videos भी देख सकते हैं , जिससे कि आपको और भी अच्छे से समझ में आ सके।

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What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 07, 2018 Rating: 5

Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? Transformer in DC Supply

अगस्त 05, 2018
Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? जैसा कि हम जानते है Transformer, Faraday's के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Electromagnetic Induction) पर काम करता है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ?
Transformer in DC Supply

Transformer A.C Supply पर काम करता है, इसमे कोई भी घूमने वाला भाग नही होता ये एक स्थिर मशीन है।
Transformer, को A.C Supply से कनेक्ट करने पर इसमें Resistance और Reactance की वजह से Impedance, Current को Control करता है। लेकिन DC Supply में ना तो Reactance होता है  और ना ही Impedance होता है। DC Supply में सिर्फ Resistance ही Current को Control करता है। AC Supply में Transformer की Primary Winding को supply से जोड़ने पर Transformer कोर में flux generate होता है जोकि core के चारो तरफ घूमने लगता है। Flux के चारों तरफ घूमने के कारण ये Flux Secondary Winding से भी link करता है। जब ये Secondary Winding से link करता है तो Secondary Winding में E.M.F पैदा हो जाती है और हमको output voltage मिल जाता है। लेकिन अगर हम transformer को DC supply से जोड़ेंगे तो उस समय Transformer की Primary Winding में जो Magnetic Flux बनेंगे वो Constant होंगे और Primary Winding के पास ही रहेंगे जिसकी वजह से Transformer की Primary Winding जल भी सकती है। दूसरा कारण ये है कि Transformer की Winding का Resistance कम होता है, और DC Supply में Current को सिर्फ Resistance ही Control करता है, Transformer  की Winding का Resistance कम होने की वजह से Winding ज्यादा Current लेगी और ज्यादा current लेने की वजह से Transformer की Primary Winding जल भी सकती है।



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Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? Transformer in DC Supply Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? Transformer in DC Supply Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 05, 2018 Rating: 5
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