VFD और Soft Starter में क्या अंतर है ? VFD vs Soft Starter

जून 16, 2023

VFD (Variable Frequency Drive) और Soft Starter दोनों electrical motors के control के लिए use किए जाने वाले devices है, ये दोनों device motor के power consumption को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन इनके functioning में कुछ अंतर हैं।

VFD और Soft Starter में क्या अंतर है
VFD vs Soft Starter in Hindi

About VFD

VFD (Variable Frequency Drive) एक electronic device है, जो electromechanical motors की speed और torque को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होता है, VFD, AC (Alternate Current) motor को operate करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं।

VFD काम करते वक्त, ये इनपुट AC power को DC power में convert करता है, इसके बाद ये DC power को फिर से adjustable frequency और वोल्टेज के साथ AC power में convert करता है, इस तरह से VFD, motor के speed और torque को control करने की अनुमति देता है।

VFD में एक bridge rectifier होता हैं जो, AC power को DC power में convert करता है, फिर एक DC link capacitor DC voltage को smooth करता है, inverter stage में, एक pulse width Modulation (PWM) technique का इस्तेमाल किया जाता है, इन PWM technique में, DC voltage को high - frequency pulses के साथ चलती हुई waveform में convert किया जाता है, इन pulses की ड्यूटी cycle और frequency की मदद से, motor को अलग अलग speed और torques पर चलाया जा सकता है।

VFD Block Diagram
VFD Block Diagram

VFD को normally speed control applications में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि industrial pumps, fans, compressors, conveyors, और CNC मशीन| VFD की मदद से मोटर की speed को optimize किया जा सकता है, जिससे energy conservation और process control जैसे advantages प्राप्त होते हैं।

About Soft Starter

Soft Starter एक electrical device है जो electric motor के लिए प्रयोग किया जाता है, ये device motor को start करने के लिए प्रयोग किया जाता है, ये device motor को धीरे-धीरे और controlled तरीके से start करता है, जिससे motor और electrical system को excessive stress से बचाया जाता है, soft starter, motor के starting torque और current को कम करता है, जिससे मोटर और electrical network के component पर कम pressure पड़ता है।

Soft starter के काम करने का basic principle ये है की इसमे एक semiconductor device, जैसे  thyristors, transistor, ya IGBTs (Insulated Gate Bipolar Transistor) का उपयोग होता है, जो current boost देते है, जिससे motor की speed gradual तरीके से increase होती है, इसके अलावा, soft starter motor की torque और current को भी monitor करता है।

Soft starter के basic components है:-

  • Power Semiconductor Switches: ये switches thyristors, transistors, या IGBTs हो सकते हैं, जो motor के current flow को regulate करते हैं.
  • Control Circuit: ये circuit soft starter के operation को control करता है, इसमें microcontrollers, programmable logic controllers (PLCs), sensors, और user interfaces होते हैं।
  • Bypass Contactor: ये component motor को start करने के बाद soft starter को bypass करके directly power supply से connect करता है.

Soft starter के काम करने के steps typically ये होते हैं:


  • Motor Starting: जब motor start होना होता है, soft starter initial voltage और current boost देता है, ये boost motor को कुछ देर तक full voltage और current के लिए तैयार करता है।
  • Voltage and Current Regulation: Soft starter motor की speed, torque, और current को monitor करता है, ये starting process में voltage और current को कम करता है|
  • Soft Stop: जब motor को stop करना होता है, soft starter उसको gradual तरीके से stop करता है, जिससे motor और electrical system पर sudden stress नहीं पड़ता।

Soft starter का उपयोग motor starting applications में होता है, जहां heavy loads और high starting torque required होता है, जैसे कि pumps, compressors, conveyors, crushers, और large fans. Soft starter motor के performance को improve करता है, energy consumption कम करता है, और motor के components की lifespan को बढ़ाता है।

Soft Starter और VFD में अंदर:-

VFD (Variable Frequency Drive) और Soft Starter दोनों electromechanical devices हैं, जो induction motors को control करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, ये दोनों devices motor की शुरुवाती current और voltage को कम करने के लिए काम आते हैं, लेकिन उनमें कुछ मुख्य अंतर है|

  • Functions: VFD एक electronic device है, जो motor की speed को बढ़ाने और घटाने के लिए प्रयोग किया जाता है, ये motor के frequency और voltage को regulate करता है, जिससे motor की speed और torque control होती है| Soft Starter, दूसरी तरफ, motor की शुरुवाती current को control करके उसकी acceleration को smooth बनाता है, Soft Starter motor की starting current को limit करता है, जिससे motor और electrical system पर excessive stress नहीं पड़ता|
  • Control Range: VFD, motor की speed को बहुत wide range में control कर सकता है, इससे motor की speed को zero से maximum तक बढ़ा सकते हैं, Soft Starter, motor की speed को control नहीं करता, सिर्फ starting current को limit करता है।
  • Energy Efficiency: VFD motor की speed को control करने के साथ साथ energy efficiency भी बढ़ता है, क्यूंकि VFD motor की speed को optimize करके सिर्फ जरूरत के अनुसार power supply करता है, Soft Starter energy efficiency को directly improve नहीं करता है, क्यूंकि motor की speed constant रहती है.
  • Application: VFD ज्यादातर dynamic applications में इस्तेमाल होता है, जहां motor की speed और torque control की जरूरत होती है, जैसे कि pumps, fans, compressors, conveyors, etc. Soft Starter ऐसे applications में इस्तेमाल होता है, जहां motor की starting current control की जरूरत होती है, जैसे कि large motors, crushers, mills, compressors, etc.

तो, VFD और Soft Starter दोनों motor control के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले devices है लेकिन इनका इस्तेमाल और कार्य अलग अलग है, आपको अपने specific application और requirements के हिसाब से सही device का चुनाव करना चाहिए।

अगर आपको ये पोस्ट informative लगी तो आप नीचे दिए हुए Subscribe के बटन पर क्लिक करके हमारा यूट्यूब चैनल भी Subscribe कर सकते हैं।

VFD और Soft Starter में क्या अंतर है ? VFD vs Soft Starter VFD और Soft Starter में क्या अंतर है ? VFD vs Soft Starter Reviewed by Jagdish on जून 16, 2023 Rating: 5

DCS और SCADA में क्या अंतर है ? DCS vs SCADA in Hindi

जून 12, 2023

DCS (Distributed Control System) और SCADA (Supervisory Control And Data Acquisition) दोनों industrial automation के terms हैं, लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर है।

dcs vs scada in hindi
DCS vs SCADA in Hindi

About DCS

DCS (Distributed Control System) एक advanced industrial automation technology है, जो manufacturing plants, power plants, oil refineries, chemical plants, और दूसरे large-scale industrial processes में प्रयोग होता है| DCS का प्रयोग industrial operations को monitor और control करने के लिए किया जाता है ।

DCS काम करने के लिए, एक network of computers, sensors, actuators, और control devices का उपयोग होता है, ये network process को automate करता है, जिससे complex industrial operations को efficiently manage किया जा सके।


DCS में हर एक process को monitor करने के लिए sensors का उपयोग किया जाता है, ये  sensors process parameters जैसे temperature, pressure, flow rate level, और दूसरे variables को measure करते हैं, इन measurements को फिर DCS system के central computer पर भेजा जाता है।

DCS system में central computer (commonly known as "server") ये measurements analyze करता है और उनके basis पर निर्णय लेता है, ये computer process की performance, safety, और efficiency को optimize करने के लिए appropriate actions और instructions generate करता है।

ये instructions और actions फिर field devices जैसे कि valves, pumps, motors, और switches को control करने के लिए भेजे जाते हैं, Field devices इन instructions को execute करते हैं और process parameters को control करते हैं।

DCS का मुख्य फायदा ये है कि ये decentralized हैं, मतलब की control functions, distribute किए जाते हैं और हर एक  process unit के पास अपना local control device होता है, इससे reliability और redundancy बढ़ती है, क्यूंकि अगर कोई एक control unit fail हो जाए तो दूसरे units अभी भी operation को manage कर सकते हैं।

DCS के द्वारा operators को real-time data, alarms, और visualizations provide की जाती है, जिससे उन्हें process की performance और anomalies के बारे में पता चलता है, Operators इन information का उपयोग करके decision making कर सकते हैं और process को optimize करने के लिए  action ले सकते हैं।


Overall, DCS एक centralized control system है जो complex industrial operations को automate, monitor, और control करने के लिए design किया गया है, इसका उपयोग करके industrial processes की safety, efficiency, और productivity को बढ़ाया जा सकता है।

About dcs system in hindi
Functional levels of a manufacturing control operation (Image by Wikipedia)

DCS में Hardware का प्रयोग:-

DCS (Distributed Control System) को चलाने के लिए कुछ अहम hardware components होते हैं, यहां कुछ प्रमुख hardware components की सूची प्रस्तुत कर रहा हूं :

  • Controllers: DCS में, main controller hardware होता है, जिसे Distributed Control Unit (DCU) या Process Automation Controller (PAC) के रूप में भी जाना जाता है, ये controller multiple input-output (I/O) modules और processor से मिलकर बना होता है, ये hardware, process parameters को monitor और control करने के लिए जिम्मेदार होता है।
  • Input-Output (I/O) Modules: DCS में, I/O modules का उपयोग analog और digital signals को प्प्राप्त और भेजने के लिए भी किया जाता है, ये modules field instruments, sensors, actuators, और दूसरे devices से जुड़े होते हैं, I/O modules analog signals को digital format में बदलते हैं और digital signals को analog format में बदलते हैं।
  • Network Infrastructure: एक robust और secure network infrastructure DCS के लिए महत्त्वपूर्ण है इसमें switches, routers, और communication interfaces शामिल होते हैं, ये hardware components, controllers, I/O modules, और दूसरे DCS devices के बीच communication को मदद करते हैं।
  • Servers: DCS में, servers की उपस्थिति आवश्यक होती है, जहां पर data storage, data processing, और decision-making function का समर्थन होता है ये  servers high-performance hardware होते हैं जो multiple controllers, data historians, और दूसरे system components के लिए data storage और computing resources beer करते हैं।
  • HMI (Human-Machine Interface): HMI hardware, operators को DCS system के साथ interact करने के लिए उपयोग होता है, इसमें monitors, touchscreens, keyboards, और pointing devices शामिल होते हैं| HMI hardware, operators को real-time data display करता है और उन्हें system के states और parameters के साथ जोड़ता है।
  • Redundancy Hardware: DCS में redundancy hardware का उपयोग करते हैं system के uptime और reliability को बढ़ाया जाता है, Redundant controllers, servers, और network components इसमें शामिल होते हैं, ये hardware components backup और failover mechanisms प्रदान करते हैं जिससे system अगर किसी hardware failure के case में भी seamless तरीके से चलता रहे।

ये सिर्फ कुछ प्रमुख hardware components हैं जो DCS systems में उपयोग होते हैं| हर एक implementation में specific hardware requirements अलग हो सकती है।

DCS IO Modules

DCS (Distributed Control System) IO Modules various प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ common modules नीचे दिए गए हैं:

  • Digital Input Modules: ये modules digital signals को detect करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं| ये typically switches, push buttons, limit switches, proximity sensors, और अन्य digital devices के signals को monitor करते हैं।
  • Digital Output Modules: Digital output modules, digital signals को generate करते हैं और external devices को control करते हैं, ये typically solenoid valves, motor starters, relay coils, और other digital devices को control करने के लिए प्रयोग होते हैं 
  • Analog Input Modules: Analog input modules, analog signals को measure करते हैं जैसे कि temperature, pressure level, flow, और अन्य continuous variables, ये modules usually voltage, current, resistance, और अन्य analog sensors से  input signals को convert करते हैं 
  • Analog Output Modules: Analog output module, analog signal को generate करते हैं और external device को control करते हैं, ये modules typically current loops, voltage output और अन्य analog device को control करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  • Communication Module: Communication modules, DCS system और external device के बीच communication establish करने के लिए प्रयोग होते हैं, ये modules Ethernet, serial communication, fieldbus protocols (जैसे कि Profibus, Modbus) और wireless communication को support करते हैं।

ये सिर्फ कुछ मुख्य उदाहरण हैं और different DCS system में specific modules और configurations vary कर सकते हैं। DCS manufacturing, जैसे कि Honeywell, Siemens, ABB, Emerson, Schneider electric ये modules provide करते हैं, जिनके specification और capabilities manufacturer के product पर depend करते हैं।

About SCADA

Learn SCADA in Hindi
About SCADA in Hindi (Image by Wikipedia)

SCADA (Supervisory Control And Data Acquisition) एक computer-based control system है जो industrial processes को monitor और control करने के लिए प्रयोग होता है। SCADA सिस्टम में आमतौर पर Hardware और Software Components होते हैं जो रिमोट डिवाइस से डेटा इकट्ठा करने के लिए एक साथ काम करते हैं, उस डेटा को प्रोसेस करते हैं, और ऑपरेटरों को Industrial Process की निगरानी और नियंत्रण के लिए एक Graphical User Interface प्रदान करते हैं।


SCADA system का primary objective है real-time data collection और control. ये systems connected field devices, जैसे sensors और actuators से data collect करते हैं, जैसे temperature, pressure level, flow, और अन्य parameters. ये data फिर central server या control room में जाता है, जहां पर operators इसे देख सकते हैं और required actions ले सकते हैं।

SCADA systems में कुछ major components होते हैं:

  • Remote Terminal Units (RTUs) और Programmable Logic Controllers (PLCs): ये devices field में होते हैं और sensors और actuators को control करते हैं। ये devices digital और analog signals को इकट्ठा करते हैं और उन्हें digital form में central server या control room तक transmit करते हैं।
  • Communication Infrastructure: ये infrastructure RTUs/PLCs और central server/control room के बीच communication को संभव करता है, इसमें wired और wireless communication methods, जैसे Ethernet, serial communication, radio या satellite, का प्रयोग होता है।
  • Central Server/Control Room: ये server या control room SCADA system का brain होता है| ये real-time data collect करता है, उसे process करता है, और graphical user interface (GUI) provide करता है। Operators इस GUI की मदद से industrial processes को monitor कर सकते हैं और required commands भेज सकते हैं।
  • Human-Machine Interface (HMI): ये component operators को SCADA system से interact करने की facility provide करता है। Operators इस interface की मदद से real-time data देख सकते हैं, alarms और alerts receive कर सकते हैं, और  required control commands issue कर सकते हैं।
  • Programmable Logic Controllers (PLCs): PLCs भी field devices से data collect करने के लिए और SCADA system के साथ communication करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, ये digital और analog signals को process करते हैं और field devices को control करते हैं।
  • Database: SCADA system में database को data storage और retrieval के लिए प्रयोग किया जाता है, ये database historical data, real-time data, alarm logs, और configuration information store करता है| इससे trends analysis, performance evaluation, और decision-making किया जा सकता है।
  • Supervisory Computers: ये computers SCADA system के central control station को represent करते हैं, Operators इन कंप्यूटर के जरिए industrial processes और equipment को monitor करते हैं, alarms handle करते हैं, और required actions लेते हैं।

SCADA systems में data gathering, data processing, और control के लिए programmable logic और algorithms का प्रयोग होता है, ये systems high-level control functions, जैसे process optimization, trend analysis, और reporting भी provide करते हैं। इसके through operators, industrial processes को efficiently monitor कर सकते हैं, faults और issues identify कर सकते हैं, और required corrective actions ले सकते हैं।

SCADA systems का प्रयोग various industries में होता है, जैसे कोई manufacturing, energy, water treatment, transportation, और building automation. ये systems industrial automation को improve करते हैं, operational efficiency increase  करते हैं और safety को enhance करते हैं।

DCS और SCADA के बीच का अंतर

  • DCS एक centralized control system है जिसमें multiple control units या controller एक centralized location में connected होते हैं, SCADA भी एक centralized control system है, लेकिन इसमें multiple remote terminal units (RTUs) या programmable logic controllers (PLCs) एक centralized location से control होते है।
  • DCS typically large scale industrial processes और manufacturing plants के लिए design किया जाता है, SCADA mainly infrastructure projects, जैसे power distribution systems, water treatment plants, और oil pipelines जैसे utilities के लिए design किया जाता है।
  • DCS में हर एक control unit specific area या process को control करता है, SCADA systems monitoring, control, और data acquisition के लिए प्रयोग होते हैं। 
  • DCS में control units local decision-making capability रखते हैं और process control, monitoring, और automation को manage करते हैं| SCADA systems के through operators को real-time data provide क्या जाता हैं और उन्हे remote access और control की capability देता है।
  • DCS में data processing, local level पर होती है और decision-making भी local level पर होती है। SCADA systems typically process के supervisory level पर decision-making करते हैं, लेकिन local controllers भी होते हैं जो specific tasks और control को manage करते हैं।

To summarize, DCS और SCADA दोनों industrial automation में प्रयोग होने वाले  centralized control systems हैं, लेकिन DCS mainly large-scale industrial processes के लिए होता है, जबकि SCADA infrastructure projects जैसे utilities के लिए design किया जाता है। DCS में control units local level पर decision-making करते हैं, जबकि SCADA systems supervisory level पर decision-making करते हैं और remote access और control को support करते हैं।

अगर आपको ये पोस्ट informative लगी तो आप नीचे दिए हुए Subscribe के बटन पर क्लिक करके हमारा यूट्यूब चैनल भी Subscribe कर सकते हैं।

DCS और SCADA में क्या अंतर है ? DCS vs SCADA in Hindi DCS और SCADA में क्या अंतर है ? DCS vs SCADA in Hindi Reviewed by Jagdish on जून 12, 2023 Rating: 5

Communication Protocols: औद्योगिक ऑटोमेशन में डेटा एक्सचेंज के माध्यम |

जून 11, 2023
industrial communication protocols in hindi
Industrial Communication Protocols

Communication protocol एक set of rules और conventions हैं, जो devices और systems के बीच communication को organize, regulate और standardize करते हैं, ये protocols, data को transmit करने, exchange करने और interpret करने के लिए प्रयोग होते हैं।

Communication protocols, devices या systems के communication के अलग-अलग aspects, जैसे data format, encoding, transmission methods, error detection और correction, addressing, routing, authentication, और security को define करते हैं। ये protocols, communication के सारे parties (devices, networks, applications) के लिए एक consistent और interoperable framework provide करते हैं।

एक communication protocol, sender और receiver के बीच communication के लिए एक common language का role play करता है, ये protocols specify करते हैं कि data कैसे organize किया जाए, किस format में transmit किया जाए, और किस तरह से  error detect और correct किया जाए, और किस तरह से  communication के endpoints को identify किया जाए।

हर communication protocol अपने set of rules और formats define करता है, जो typically layers में organize किए जाते हैं, जो common example है, TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol), जो internet communication के लिए बहुत ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। TCP/IP protocol multiple layers को suite करता है, जैसे कि  network layer (IP), transport layer (TCP/UDP), और application layer (HTTP, FTP, SMTP, etc.) को define करता है। कुछ popular communication protocols नीचे दिए गए हैं :

MODBUS

Modbus एक प्रसिद्ध industrial communication protocol है जो data exchange और communication के लिए इस्तेमाल होता है, यह protocol Modicon (Modbus-compatible) programmable logic controllers (PLCs) के लिए पहले से ही विकसित किया गया था, लेकिन अब ये बहुत से दूसरे devices और systems में भी उपयोग होता है।

Modbus का उपयोग mainly industrial automation applications में होता है जैसे कि monitoring systems, process control systems, और building automation systems. इस प्रोटोकॉल का मुख्य उद्देश्य devices के बीच में data exchange और communication करने की सुविधा प्रदान करना है।


Modbus communication master-slave architecture पर काम करता है, इसमें एक master device (जैसे कि PLC) दूसरे devices को control करने के लिए commands भेजता है,जो slave devices (जैसे कि sensors, actuators, या दूसरे controllers) होते हैं, Master device slave devices से data read कर सकता है और उन्हें commands भेज सकता है।

Modbus के दो मुख्य  variants होते हैं:


  • Modbus RTU (Remote Terminal Unit): इस variant में data serial communication के through transmit होता है, इसमें data binary format में होता है और devices के बीच में RS-232 या RS-485 जैसे serial communication protocols का उपयोग होता है।
  • Modbus TCP (Transmission Control Protocol): यह variant Ethernet-based TCP/IP network पर काम करता है, इसमें  data TCP/IP packets में encapsulate होता है और devices के बीच में Ethernet network का उपयोग होता है।
Modbus के advantages में शामिल है कि ये simple, robust, और widely supported है, इसका implementation और integration आसान है, और इसमें केवल कम bandwidth की आवश्यकता होती है, इसके अलावा Modbus के कुछ limitations भी हैं जैसे कि limited data transfer speed, lack of encryption, और limited error checking.

Modbus protocol के कुछ प्रमुख features हैं:


  • Simple Structure: Modbus का structure simple है, जिसकी वजह से इसे आसानी से  implement किया जा सकता है, इसमें data को function codes के साथ भेजा जाता है, जिनसे data का प्रकार और प्रबंध किया जाता है।
  • Versatility: Modbus protocol multiple devices के साथ काम कर सकता है। एक master device, multiple slave devices से data exchange कर सकता है, और slave devices भी master device को data provide कर सकते हैं।
  • Interoperability: Modbus protocol केवल एक company या manufacturer के devices तक सीमित नहीं है, इससे compatible device आसानी से integrate किए जा सकते हैं, जिससे interoperation कि सुविधा मिलती है।
  • Data Types: Modbus protocol में कई प्रकार के data types support किए जाते हैं, जैसे कि binary, integer, floating point, coils, registers, etc.
Overall, Modbus एक प्रसिद्ध industrial communication protocol है जो devices के बीच में data exchange और communication को संभव करता है।

PROFINET (PROcess FIeld NETwork)


PROFINET (Process Field Network) एक industry-standard Ethernet-based communication protocol है जो industrial automation applications के लिए प्रयोग किया जाता है, PROFINET, field devices और automation systems के बीच data exchange और control communication को possible बनाता है।


PROFINET, Siemens AG द्वारा develop किया गया है और IEC 61158 और IEC 61784 standards के तहत define किया गया है, ये protocol manufacturing, process control, packaging, robotics, और दूसरे industrial automation domain में widely इस्तेमाल होता है।

PROFINET, Ethernet पर काम करता है जिससे existing Ethernet infrastructure का इस्तेमाल करके communication network बनाया जा सकता है. ये high-speed data transfer और real-time control के लिए optimized है, PROFINET में TCP/IP protocol stack का इस्तेमाल किया जाता है , जिससे standard Ethernet switches और routers के साथ compatibility बनी रहती है।

PROFINET के through, sensors, actuators, motor drives, PLCs (Programmable Logic Controllers), I/O modules, और दूसरे automation devices को नेटवर्क के साथ जोड़ा जाता है, ये devices real-time data exchange कर सकते हैं और control commands को एक दूसरे तक पहुंचा सकते हैं। PROFINET में device configuration और monitoring भी possible है।

PROFINET के feature में high-speed data exchange, determinism (जिससे time-critical applications handle किया जा सकता है), diagnostics, device redundancy, और flexibility शामिल है ये protocol flexible topology support करता है जैसे कि, star, ring, और line topology.


Overall, PROFINET industrial automation के लिए एक reliable, scalable, और interoperable communication solution है, जो Ethernet technology का इस्तेमाल करके communication को enhance करता है।

EtherNet/IP


EtherNet IP जो कि EtherNet Industrial Protocol कहते हैं, एक promate standard है जो industrial automation के लिए design किया गया है, ये protocol EtherNet network पर data exchange करने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे industrial device और system को एक unified network infrastructure provide होती है।

EtherNet/IP के नाम में EtherNet technology का reference है जो कि widely used local area network (LAN) technology है, इसका प्रयोग डाटा communication के लिए किया जाता है,'IP', standard EtherNet hardware और TCP/IP (Transmission Control Protocol) suite का प्रयोग करके data communication का एक layer provide करता है।

EtherNet/IP primarily industrial automation application में प्रयोग होता है, जैसे कि manufacturing plants, process control system, और industrial machinery, इसका प्रयोग किया जाता है data exchange करने के लिए industrial devices जैसे कि programmable logic controllers (PLCs), human - machine interfaces (HMIs), motion controllers, और sensors के बीच।

EtherNet IP के through, devices एक दूसरे से data share कर सकते हैं, commands exchange कर सकते हैं और real time monitoring और exchange और control के लिए communicate कर सकते हैं, ये protocol high-speed, deterministic, और reliable communication provide करता है, जिससे industrial automation system को improve करने और optimize करने में मदद मिलती है।

इसके साथ ही, EtherNet/IP standard TCP/IP suite के features का भी benefit लेता है, जैसे कि IP addressing, device discovery, network configuration और security features इसका प्रयोग करके, industrial devices और system को existing EtherNet infrastructure से integrate करना आसान हो जाता है, और interoperability को बढ़ाया जा सकता है।

EtherNet/IP के मुख्य features हैं:


  • Ethernet के high-speed, high-bandwidth advantages का उपयोग करके real-time data exchange और control.
  • TCP/IP के flexible और scalable nature का फायदा उठाकर multiple devices के बीच communication.
  • CIP (Common Industrial Protocol) का उपयोग करके seamless integration with other industrial networks और devices.
  • Standard Ethernet hardware और infrastructure के उपयोग से  cost-effective implementation.
  • Plug-and-play capabilities, जिसकी वजह से devices को network में आसानी से जोड़ा जा सकता है।
Overall, EtherNet/IP एक industrial communication protocol है, जो Ethernet technology और TCP/IP suite का उपयोग करके industrial automation systems में data exchange और communication को facilitate करता है।

DeviceNet


DeviceNet, एक industrial automation network है जो manufacturing, process control, और अन्य industrial applications में प्रयोग होता है, DeviceNet, Allen-Bradley (Rockwell Automation) द्वारा develop किया गया है, ये network multiple devices, जैसे sensors, actuators, motor drives, switches, और अन्य industrial equipment को connect करने के लिए design किया गया है।

DeviceNet का प्रयोग किसी specific industry sector में devices को interconnect करने के लिए होता है, network high-speed communication provide करता है और ये  devices को एक common network पर communicate करने की capability देता है, DeviceNet, CAN (Controller Area Network) protocol पर based है।

DeviceNet network में, एक central controller (जैसे कि programmable logic controller या distributed control system) होता है जो सारे connected devices को control करता है,ये network twisted-pair wiring पर based होता है जिसमे devices को daisy-chain topology में connect किया जाता है।

DeviceNet के through, devices एक दूसरे से data exchange कर सकते हैं, commands receive और transmit कर सकते हैं, diagnostics information share कर सकते हैं, और coordinated operations perform कर सकते हैं इसके अलावा DeviceNet network devices को power भी provide करता है जिससे उन्हें अलग से power source की जरूरत न हो।

DeviceNet network का उपयोग manufacturing plants, assembly lines, conveyor systems, process industries, automotive industries, और दूसरे industrial environments में किया जाता है ये network devices को reliable communication, easy installation, और interoperability provide करता है, जो industrial automation में मुख्य factors होते हैं।

PROFIBUS


PROFIBUS (Process Field Bus) एक industry-standard communication protocol है जो manufacturing, automation, और process control applications में प्रयोग होता है, PROFIBUS के through, data और signals को exchange किया जाता है, industrial devices, such as programmable logic controllers (PLCs), sensors, actuators, और अन्य field devices के बीच।

PROFIBUS को Siemens AG ने develop किया था, और ये एक open standard है जिसकी specifications PROFIBUS International (PI) organization maintain करती है, PROFIBUS के multiple variations हैं, जिनमे से दो popular variations हैं:

  • PROFIBUS DP (Decentralized Peripherals): ये variation process control और manufacturing automation के लिए designed है। इसमें, central controller (जैसे की PLC) और distributed peripherals (जैसे की sensors और actuators) के बीच high-speed communication होती है, PROFIBUS DP twisted-pair cables और RS-485 serial communication standard का प्रयोग करता है।
  • PROFIBUS PA (Process Automation): ये variation process automation applications, जैसे कि oil refining, chemical plants, और pharmaceutical industries के लिए designed है, PROFIBUS PA devices की communication के लिए, bus-powered instruments और intrinsic safety techniques का इस्तेमाल होता हैं|

PROFIBUS के कुछ मुख्य लाभ हैं:


  • High-Speed Communication: PROFIBUS high-speed data transmission allow करता है, जिससे real-time control और monitoring possible होता है।
  • Scalability: PROFIBUS flexible और scalable है जिसके through आप अपने automation network को as per requirement expand या modify कर सकते हैं।
  • Robustness: ये protocol noise और interference tolerant है, जिससे reliable communication और operation मिलता है।
  • Interoperability: PROFIBUS के द्वारा अलग अलग manufacturers के devices एक दूसरे के साथ compatible हो सकते हैं, जिससे आपको flexibility और choice मिलता है।
PROFIBUS का एक मुख्य benefit है कि ये reliable, robust, और high-speed communication provide करता है industrial environments में इसका प्रयोग field devices के data exchange, process monitoring, control, और diagnostics के लिए किया जाता है। PROFIBUS के through, real-time data और commands को devices के बीच efficiently share किया जा सकता है, जिससे overall system efficiency और productivity improve होती है।

Overall, PROFIBUS एक widely used industrial communication protocol है जो manufacturing और process control industries में data exchange और automation को facilitate करता है।

CANopen


CANopen (Controller Area Network open) एक industrial automation में प्रयोग होने वाला communication protocol है. ये protocol, real-time communication और network management capabilities provide करता है, जिसके through devices एक network पर communicate कर सकते हैं।

CANopen initially automotive industry में develop किया गया था लेकिन आज कल ये  industrial automation, medical devices, maritime applications, और दूसरे domains में भी इस्तेमाल होता है, ये protocol CAN bus (Controller Area Network) पर काम करता है, जो एक reliable, robust, और low-cost serial communication network हैं।

CANopen protocol, एक standardized messaging scheme provide करता है, जिसमें messages nodes (devices) के बीच exchange किए जाते हैं, ये messages data, commands, और status information ko carry कर सकते हैं, इस protocol में, हर node को unique identifier होता है जिससे उनको network पर identify किया जा सकता है।

CANopen protocol के कुछ important features हैं:


ये protocol एक common database हैं, जिसमें nodes के parameters, configurations, और functionalities define किए जाते हैं, Object Dictionary, dynamic object mapping allow करता है, जिससे devices network के साथ interact कर सकते हैं।

  • Network Management: CANopen में network management features होते हैं जैसे device monitoring, configuration, heartbeat monitoring, error handling, और synchronization.
  • Device Profiles: CANopen में predefined device profile होते हैं, जिससे devices को define किया जा सकता है, ये profiles, specific device types और functionalities के लिए standardized communication interfaces provide करते हैं।
  • Real-time Communication: CANopen real-time communication को support करता हैं, जिससे critical data और commands को reliable तरीके से transmit किया जा सकता है।
Overall, CANopen protocol, distributed control systems और networked devices के लिए एक powerful और flexible communication solution है, जिसके through devices एक reliable और standardized तरीके से communicate कर सकते हैं।

OPC (OLE for Process Control)


  • OPC Server: OPC server एक software application होता है, जो industrial data को collect, process, और distribute करता है, ये server, field devices से data collect करता है और उसे OPC protocol के through connected client applications को provide करता है, OPC server, data को standard OPC format में expose करता है, जिसे client applications easily interpret और utilize कर सकते हैं।
  • OPC Client: OPC client application, OPC server से data retrieve करने के लिए प्रयोग किया जाता है, ये  application, OPC server से data read कर सकता है, commands send कर सकता है और real-time control actions perform कर सकता है, OPC client, visualizations, data logging, analysis, और decision-making tasks के लिए data का उपयोग करता है।
OPC protocol, various industry standard communication protocols (जैसे कि OPC DA, OPC UA, OPC HDA) को support करता है, ये protocols, Ethernet, TCP/IP, serial communication, और अन्य network protocols पर based हो सकते हैं।

Overall, OPC protocol industrial automation systems के लिए एक standardized और interoperable communication framework provide करता है, जिससे devices और software applications seamlessly interact कर सकते हैं।

MOTT (Message Queuing Telemetry Transport)


MOTT (Message Queuing Telemetry Transport) protocol एक lightweight messaging protocol है, जो IoT (Internet of Things) devices के communication के लिए design किया गया है, MOTT protocol, low-bandwidth, high-latency, और unreliable networks पर efficient communication को support करता है।

MOTT protocol, publish-subscribe messaging pattern पर आधारित है इसमें , publishers (data senders) messages को topics (subjects) पर publish करते हैं, और subscribers (data receivers) उस topic पर subscribe करके messages को receive करते है।

MOTT protocol TCP/IP और MQTT-SN (Message Queuing Telemetry Transport for Sensor Networks) को combine करता है, ये protocol TCP/IP के upper layer पर कार्य करता है, जिससे devices को reliable connection establishment, session maintenance, और message delivery की सुविधा मिलती है।

MOTT protocol का main focus lightweight communication है. ये बहुत कम network bandwidth और  resources का इस्तेमाल करता है, जिससे इसे resource-constrained IoT devices पर भी आसानी से deploy किया जा सकता है, इसकी simplicity और scalability इसे popular बनाती है IoT applications में।

MOTT protocol का उपयोग अलग- अलग IoT use cases में होता है, जैसे कि home automation, industrial automation, smart energy systems, vehicle tracking, और remote monitoring. इसका इस्तेमाल data collection, real-time monitoring, और control applications के लिए किया जाता है।

Overall, MOTT protocol, IoT devices के लिए optimized messaging solution है, जो low-bandwidth और unreliable networks पर भी efficient communication provide करता है।

WirelessHART


WirelessHART (Highway Addressable Remote Transducer) protocol एक end-to-end wireless communication protocol हैं, जो industrial automation systems में प्रयोग होता है ये  protocol HART Communication Foundation (HCF) द्वारा develop किया गया है, जो कि एक industry-standard organization है और HART protocol का wireless extension provide करता है।

HART (Highway Addressable Remote Transducer) protocol एक traditional wired communication protocol है जो industrial field devices, such as sensors, transmitters, और actuators के बीच communication establish करने के लिए प्रयोग होता है, WirelessHART protocol इसे wireless environment में extend करता है, जिससे devices को wireless communication capability provide होती है।

WirelessHART protocol wireless mesh network का प्रयोग करता है, जिसमें multiple wireless devices एक दूसरे से communicate कर सकते हैं, हर device mesh network का भाग होता है और devices के साथ communication relay करता है,इस तरह, robust and reliable wireless communication establish की जा सकती हैं, और devices को real-time data exchange, monitoring, और control करने की capability मिलती हैं 

WirelessHART protocol के features में security, reliability, scalability, और compatibility शामिल होते हैं, ये protocol multiple frequency bands, encryption techniques, और authentication mechanisms का प्रयोग करता है जिससे data security ensure किया जाता है, इसके अलावा, ये protocol self-healing capabilities भी provide करता है,जिससे network के failure cases में communication continuity maintain की जा सकती है।

WirelessHART protocol के प्रयोग से industrial automation systems में flexibility, cost-effectiveness, और ease of installation achieve की जा सकती है,इससे existing HART-enabled devices wireless environment में integrate करने में मदद मिलती है  monitoring और control systems को wireless connectivity provide की जा सकती है।

अगर आपको ये पोस्ट informative लगी तो आप नीचे दिए हुए Subscribe के बटन पर क्लिक करके हमारा यूट्यूब चैनल भी Subscribe कर सकते हैं।

Communication Protocols: औद्योगिक ऑटोमेशन में डेटा एक्सचेंज के माध्यम | Communication Protocols: औद्योगिक ऑटोमेशन में डेटा एक्सचेंज के माध्यम | Reviewed by Jagdish on जून 11, 2023 Rating: 5

थर्मोकपल: एक विस्तृत जानकारी (Thermocouple: A Comprehensive Guide)

मई 23, 2023

thermocouple in hindi
Thermocouple in Hindi

Thermocouple एक तरह का temperature sensor होता है जो दो अलग अलग किस्म के मैटेलिक कंडक्टर से बना होता है, ये दो कंडक्टर जंक्शन को temperature के हिसाब से measure करके temperature को कैलकुलेट करता है।

Thermocouple काम करने के लिए, एक जंक्शन हॉट जंक्शन कहते हैं, जहां पर दो अलग अलग मेटल की ends को कनेक्ट किया जाता है और दूसरा जंक्शन कोल्ड जंक्शन होता है जहां पर thermocouple का temperature को मापा जाता है, temperature के। चेंज हॉट जंक्शन के मेटल के कंडक्टिविटी में बदलाव लाता है और इससे इलेक्ट्रिक पोटेंशियल जेनरेट होता है, जो कोल्ड जंक्शन तक ट्रैवल करता है और इसके  रीडिंग तापमान को इंडिकेट करता है।

Thermocouple बहुत ही reliable or durable होते हैं और बहुत से एप्लीकेशन में उसे किये जाते हैं, जैसे कि heating और cooling start, automobile, और industrial process monitoring.

thermocouple working in hindi
Thermocouple Working in Hindi

Working of Thermocouple (Thermocouple के कार्य)

Thermocouple एक ऐसा temperature sensor है जो temperature को मापने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, ये sensor दो अलग अलग किस्म के मेटल वायर से बना होता है, जिन्हें 'legs' कहा जाता है। जब इन दोनों 'legs' को आपस में जोड़ दिया जाता है तो एक जंक्शन बनता है, अगर दोनो 'legs' का temperature अलग अलग होता है तो इस जंक्शन में एक voltage generator होता है, जो thermocouple के temperature से सम्बन्धित होता है।
ये वोल्टेज thermoelectric effect के कारण जेनरेट होता है, जो कहता है, जब दो अलग अलग किस्म के मेटल की तरह के वायर को आपस में जोड़ा जाता है, तो अगर दोनो वायर का temperature अलग अलग होता है तो दोनो वायर में एक potential difference create होते हैं। इस वोल्टेज को thermocouple से readout सिस्टम में एम्प्लीफाई किया जाता है, जिसमें ये वोल्टेज temperature की मेजरमेंट के लिए प्रयोग किया जाता है।
Thermocouple के अलग अलग किस्म के मेटल वायर का selection temperature range और एक्यूरेसी पर निर्भर करता है, जैसे। की टाइप के thermocouple में क्रोमेल (एनआईसीआर) और एलुमेल (एनआईऐएल) मेटल का प्रयोग किया जाता है और ये 200°C से लेकर 1372° C तक के temperature को मेजर कर सकता है।
types of thermocouple in hindi
Types of Thermocouple in Hindi

Types of Thermocouple (Thermocouple के प्रकार)

Thermocouple के कई प्रकार हैं:-
  • K-type thermocouple:- ये सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला thermocouple है, इसका temperature range -200°C se 1350°C तक होता है।
  • J- type thermocouple:- ये भी एक common thermocouple है, जिसका temperature range 210°C  से 1200°C तक होता है।
  • T-type thermocouple:- इसका temperature range - 200°C  से 370°C तक होता है, ये thermocouple low तापमान application के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • E- Type thermocouple:- इसका temperature range 270°C से 1000°C तक होता है, ये thermocouple low to moderate तापमान application के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • N- Types thermocouple:- इसका temperature range - 270°C se 1300°C तक होता है, ये thermocouple High तामपान application के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • S- Type thermocouple:- इसका temperature range 50°C से 1750°C तक होता है, ये thermocouple High temperature application के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • R-Type thermocouple:- इसका प्रयोग रेंज  50°C se 1750°C तक होता है, ये thermocouple High temperature application के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इनमें से किस प्रकार का thermocouple इस्तेमाल करना है, उसका चुनाव आपका जरूरत के अनुसार किया जाता है।


Advantages and Disadvantages of Thermocouple (Thermocouple के फायदे और नुकसान)


Thermocouple के बहुत सारे फायदे होते हैं -
  • Wide Temperature Range- Thermocouple High temperature range के लिए काफी उपयोगी होते हैं, जोकि -200°C से लेकर 2000°C तक हो सकते हैं।
  • Fast Response Time:- Thermocouple बहुत ही फास्ट रिस्पॉन्स टाइम के साथ काम करते हैं, जिसमें से कुछ माइक्रोसेकंड्स तक का रिस्पॉन्स टाइम भी हो सकता है।
  • Durable और Rugged:- thermocouple मैकेनिकल shocks, vibrations, और हाई प्रेशर को easily सहन कर सकते हैं, इसलिए ये durable और rugged होते हैं।
  • Small and Compact:- thermocouple का साइज छोटा औरकॉम्पैक्ट होता है, जिससे की ये आसानी से फिट हो जाते हैं और उन्हें इंस्टॉल करना काफी आसान होता है।
  • Wide Rage of Application:- thermocouples के वाइड temperature range की वजह से इन्हें बहुत सारे एप्लीकेशन में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि industrial process, Automotive, Aerospace, Medical Equipment और Library Experiments।
  • Easy to use:- Thermocouple बहुत ही सिंपल और easy to use होते हैं,और इन्हें calibrate करना भी बहुत easy होता है, इसलिए इन्हें वाइड रेंज ऑफ एप्लीकेशन में प्रयोग किया जाता है।

Thermocouple एक प्रकार का temperature range है जो दो अलग अलग खातों के संयोग से temperature का अनुमान लगाता है। Thermocouple के कुछ नुकसान नीचे दिए गए हैं:-

  • Accuracy:- thermocouple के बहुत से प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ का accuracy काफी हद तक कम होता है, इसलिए  आपको अपने उपयोग के अनुसार सही प्रकार का thermocouple चुनना चाहिए।
  • Temperature Range:- हर एक thermocouple के लिए एक निश्चित temperature range होता है, जिनके बाहर उनका उपयोग करने से उनकी performance में गिरावट होती है।
  • Response time:- Thermocouple का रिस्पॉन्स टाइम भी उसके प्रकार पर निर्भर करता है, कुछ thermocouple बहुत तेज होते हैं, लेकिन कुछ की प्रतिक्रिया धीमी होती है।
  • Environmental Effect:-  Thermocouples के उपयोग को प्रभावित करने वाले अनेक प्रकार के पर्यावरणीय effect होते हैं जेसे कि electromagnetic interference (EMI),moisture, dust, और। केमिकल इन सभी फैक्टर से thermocouple के अनुसार होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
  • Lifespan:- Thermocouple की लाइफस्पैन उसके डिजाइन उपयोग के तरीके और उपयोग की स्थिति पर निर्भर करता है, जब आप उनका उपयोग करते हैं, तब आपको उन्हें सुरक्षित रखना होगा, ताकि उनकी lifespan लंबे समय तक रहे।
अगर आपको ये पोस्ट informative लगी तो आप नीचे दिए हुए Subscribe के बटन पर क्लिक करके हमारा यूट्यूब चैनल भी Subscribe कर सकते हैं।

थर्मोकपल: एक विस्तृत जानकारी (Thermocouple: A Comprehensive Guide) थर्मोकपल: एक विस्तृत जानकारी (Thermocouple: A Comprehensive Guide) Reviewed by Jagdish on मई 23, 2023 Rating: 5

What is an Resistance Temperature Detector (RTD) in Hindi

मई 13, 2023

Resistance Temperature Detector (RTD) in Hindi
Resistance Temperature Detector (RTD)

RTD (Resistance Temperature Detector) एक Electronics Sensor है जो Temperature को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है. RTD ohm's laws के सिद्धांत पर काम करता है। जो एक conductor में current फ्लो करने पर उसमें वोल्टेज drop करता है। जब एक RTD में करंट फ्लो होता है तो उसमें हीट जेनरेट होती है, और उसके Temperature के साथ resistance भी बदल जाती है ।

RTD एक वायर से बना होता है जिसका material platinum, nickel और copper हो सकता है। Platinum सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला RTD material है। क्यूंकि ये बहुत ही एक्यूरेट है और temperature range बहुत वाइड है।

RTD का आउटपुट resistance के change से मापा जाता है, एक RTD ka resistance तापमान के साथ linearly बदलता है, अगर temperature बड़ेगा तो resistance भी बड़ेगा, और अगर temperature घटेगा तो resistance भी घटेगा। RTD का resistance बहुत ही sensitive होता है, इसलिए बहुत ही एक्यूरेट तापमान मापने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है ।

Resistance Temperature Detector (RTD) in Hindi
RTD in Hindi

Types of RTD (RTD कितने प्रकार के होते हैं ?)

RTD ( Resistance Temperature Detector) कई प्रकार के होते हैं,  जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:-
  • Platinum RTD- इस प्रकार के RTD में प्लेटिनम का उपयोग होता है, ये सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले RTD's में  से एक है और इसकी एक्यूरेसी बहुत अधिक होती है।
  • Copper RTD- कॉपर RTD में कॉपर का उपयोग होता है, ये प्लेटिनम RTD के मुकाबले कम एक्यूरेट होते हैं, लेकिन इसकी कीमत भी कम होती है।
  • Nickle RTD- इस प्रकार के RTD में Nickle का उपयोग होता है, ये प्लेटिनम RTD के मुकाबले सस्ती होती है, लेकिन इसकी accuracy भी कम होती है।
  • Thermistor RTD - इस प्रकार की RTD में thermistor का उपयोग होता है जो सेमीकंडक्टर मैटेरियल से बना होता है, ये सबसे सस्ते RTD's में से एक है, लेकिन इसकी एक्यूरेसी भी कम होती है।
ये कुछ प्रमुख RTD के प्रकार  हैं, लेकिन अन्य RTD's भी होती हैं जैसे:- गोल्ड, सिल्वर, और lead's RTD's जो अलग अलग उपयोग के लिए बनाए जाते हैं।

RTD in Hindi
RTD Connection in Hindi

RTD Advantages & Disadvantages (RTD के फायदे और नुकसान)

RTD (Resistance Temperature Detector) एक ऐसा सेंसर है जो तापमान के change को electrical signal में बदलता है। इसका इस्तेमाल तापमान मापने के लिए किया जाता है। RTD के लगाने के फायदे और नुकसान नीचे दिए गए हैं।


Advantages

  • High Accuracy: RTD सेंसर बहुत ही एक्यूरेट होते हैं और उनका तापमान रीडिंग बहुत ही precise होती है, इसलिए इनका इस्तेमाल तापमान सेंसिटिव application में किया जाता है, जहां High Accuracy की आवश्यकता होती है।
  • Wide Temperature Rage - RTD सेंसर बहुत ही वाइड तापमान रेंज में काम करते हैं,typically - 200°C se 800°C  तक।
  • Linear Response: RTD सेंसर के रिस्पॉन्स लीनियर होता है, इसका मतलब ये है कि उनका आउटपुट बहुत ही predictable होता है और उनके रीडिंग के बीच लीनियर relationship होता है।
  • High Stability: RTD sensors बहुत स्टेबल होते हैं और उनका रिस्पॉन्स टाइम बहुत ही कम होता है।

Disadvantages

  • Cost :- RTD सेंसर thermocouple सेंसर से महंगी होते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल कॉस्ट -सेंसिटिव एप्लीकेशंस नहीं किया जाता है।
  • Current Limitation:-RTD सेंसर बहुत ही लो करेंट आउटपुट के साथ काम करते हैं। इसलिए उनके आउटपुट सिग्नल में एम्प्लीफायर की जरूरत होती है।
  • Fragility: RTD सेंसर बहुत ही fragile होते हैं और इन्हें रफ handling से बचाया जाना चाहिए, इनका mishandling उनके accuracy को affect कर सकता है।
  • Non-Linearity : अगर RTD सेंसर का मैटेरियल चेंज हो जाता है या फिर उनका डिजाइन डिफेक्टिव हो जाता है तो उनका आउटपुट नॉन- लीनियर हो सकता है।
अगर आपको ये पोस्ट informative लगी तो आप निचे दिए हुवे Subscribe के बटन पर क्लिक करके हमारा यूट्यूब चैनल भी Subscribe कर सकते हैं।

What is an Resistance Temperature Detector (RTD) in Hindi What is an Resistance Temperature Detector (RTD) in Hindi Reviewed by Jagdish on मई 13, 2023 Rating: 5

Future of Automation in India | Future in Automation| Hindi

अक्तूबर 22, 2021
नमस्कार दोस्तों, आपको Automation क्यों सीखना चाहिए या फिर भारत या बाकी देशों में Automation का क्या भविष्य हैं? ये सवाल अक्सर सभी Students के मन में होता हैं, और ये सवाल सबसे ज्यादा तब परेशान करता हैं जब College के आखिरी 6 महीने बचे होते हैं या फिर हम अपनी पहली नौकरी की तलास मे होते हैं |

future of automation in India
Future of automation in India

IFR यानि की International Federation of Robotics के अनुसान The World's Top Automated Countries (15 Country) में सबसे ऊपर आता हैं Singapore और सबसे नीचे हैं Belgium and Luxemburg देश, जहां Singapore में हर 10,000 Workers पर 918 Industrial Robots इस्तेमाल किए जाते हैं तो Belgium and Luxemburg में 149 Industrial Robots लेकिन इन top 15 Countries में भारत के साथ - साथ ज्यादातर एशियाई देश नहीं हैं जैसे नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि, तो इससे ये समझा जा सकता हैं की भारत के साथ - साथ ज़्यादातर सभी एशियाई देशों में Automation के ऊपर अभी भी बहुत काम होना बाकी हैं |

Automation in hindi
IFR (International Federation of Robotics)

ऑटोमेशन में भविष्य और स्कोप (Future and Scope in Automation)

future of automation in india
Future and Scope in Automation

World Economic Forum की एक रिपोर्ट के अनुसार Automation की वजह से हर 4 वर्कर्स मे से 1 की नौकरी खतरे में हैं, अब जहां Automation की वजह से लोगों की नौकरिया जा रही हैं वही बहुत सी नई नौकरिया पैदा भी हो रही हैं, जिनके पास PLC Programming, DCS, SCADA, AutoCAD, ePlan, Industrial Internet of Things (IIoT), Home Automation, Machine Learning इनमे से किसी की भी knowledge हैं तो ऐसे लोगो की डिमांड Industry को बहुत ज्यादा होती हैं| भारत में अभी हमारी Industries Automation की तरफ बड रही हैं और जैसे - जैसे Automation बड्ता जाएगा तो नए स्किल्ड वोर्करस की डिमांड भी बहुत ज्यादा बड़ जाएगी|
भारत में Automation का स्कोप बहुत ज्यादा हैं और ये आने वाले समय में बहुत तेजी से बडने वाला हैं, तो आप ये बोल सकते हैं की आने वाले समय में एक high salary job उसी को मिलने वाली हैं जिसके पास Automation से संबन्धित कोई skill होगा|

Automation में Carrier कैसे बनाए ?


हमारे Colleges के Syllabus में Automation से संबन्धित कुछ Chapter तो हैं लेकिन उतना नहीं की हमको उस knowledge की वजह से एक अच्छी जॉब मिल सके, आपको आज नहीं तो कल Automation को अपनाना ही पड़ेगा तो क्यू ना इस दिशा में आप आज से ही काम करना सुरू कर दें| अगर आप Electrical & Electronics Engineering के स्टूडेंट हैं या जॉब करते हैं या आप इलेक्ट्रिशियन हैं तो आपको PLC Programming, HMI Programming, Distributed Control System (DCS)Supervisory control and data acquisition (SCADA), AutoCAD Electrical, ePlan, Home Automation, Machine Learning, IIoT या Arduino इनमे से जो भी विषय आपको पसंद हो उसकी जानकारी लेनी सुरू करनी चाहिए|

future in automation
Future in Automation

आज के समय में Industries बहुत बड़े स्केल पर Industrial Robots का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि Production और Quality को बढ़ाया जा सके और labor cost कम की जा सकें, Industrial Robots में इस्तेमाल होने वाला सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस होता हैं PLC (Programmable Logic Controller) और एक Robot में PLC बिलकुल वैसा ही हैं जैसे हमारे लिए हमारा दिमाक हैं|

आप Automation के जिस भी Sector में जाना चाहो उसके लिए आपको आज से ही काम सुरू कर देना चाहिए, आज के समय में बहुत से ऐसे माध्यम हैं जिनकी मदद से आप Automation से संबन्धित कुछ भी सीख सकते हो और सबसे बड़ा माध्यम हैं YouTube जहां आपको free में बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं, लेकिन इसमे समय लगता हैं और YouTube पर आपको किसी भी विषय में एक Systematic तरीके से सीखने को नहीं मिलता और अगर आपको कोई doubt हो या कोई सवाल करना हो तो मुश्किल हो जाती हैं फिर दूसरा तरीका हैं की आप कोई Offline या Online कोर्स जॉइन कर सकते हैं, जहा आप अच्छे से सीख भी पाओगे और अपने doubts भी clear कर पाओगे|

Automation Online सीखना चाहिए या Offline?


Covid के आने के बाद भारत में Learning process पूरी तरीके से बदल गया हैं और सुरुवात में इस बदलाव को अपनाना Educators और Students दोनों के लिए मुसकिल था लेकिन अब सब आसान हो चुका हैं| Western Countries के लिए Online Learning पहले से ही आम बात थी लेकिन हमारे लिए ये सब नया था|

Automation course in hindi
Automation

Automation एक ऐसा विषय हैं जिसको आप 2 या 3 महीने के किसी Course को करके नहीं सीख सकते, इसके लिए आपको रेगुलर प्रैक्टिस करनी होगी| आप चाहे कोई Online Classes जॉइन करो या Offline Classes बस आपको ध्यान इतना देना चाहिए की आपका कोर्स खत्म होने के बाद भी अगर आपका कोई Doubt हो या अगर उस विषय से संबन्धित अगर आपको कुछ पुछना हो तो आप उनसे पूछ सको| अगर आपको Online या Offline कोई ऐसा कोर्स मिलता हैं जहां आप lifetime कभी भी अपने doubts clear कर सको तो इस टाइप के courses आपके लिए सबसे बढ़िया होंगे|

Automation में Learn EEE आपको PLC Programming और AutoCAD Electrical सीखने का मौका देता हैं, अगर आप Learn EEE का कोई भी कोर्स जॉइन करते हैं तो आपको सभी Courses की lifetime validity मिलती हैं और Learn EEE के सभी Courses के लिए अलग - अलग ग्रुप बने हैं जहां आप अपने doubts clear कर सकते हो और आप इन groups में भी lifetime तक रहते हो तो lifetime कभी भी आप अपने doubts clear कर सकते हो और आप अपने Doubts WhatsApp पर भी clear कर सकते हो| Learn EEE के Courses की जानकारी आपको नीचे दिए लिंक से मिल जाएगी या आप WhatsApp पर भी Courses की जानकारी ले सकते हैं|


तो दोस्तो हमको उम्मीद हैं की अब आपको पता लगा होगा भारत में Automation का क्या Scope हैं और कैसे आप Automation के Sector में अपना भविष्य बना सकते हो, फिर भी अगर आपका इस टॉपिक से संबन्धित कोई भी doubt हो या अगर आपको कुछ भी जानना हो तो क्रप्या हमको नीचे comment box में जरूर बताय, आपके सवालों के जवाब देने में हमको खुशी होगी|

अगर आप इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल ऑटोमेशन बिलकुल आसान भाषा हिंदी में सीखना चाहते हैं तो आप हमारा यूट्यूब चैनल Learn EEE को नीचे लाल रंग के सब्सक्राइब के बटन पर क्लिक करके सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Future of Automation in India | Future in Automation| Hindi Future of Automation in India | Future in Automation| Hindi Reviewed by learn che on अक्तूबर 22, 2021 Rating: 5

Why should we learn AutoCAD Electrical |AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए|

अगस्त 14, 2021

नमस्कार दोस्तो! मैं हूँ जगदीश जोशी, अगर आप Electrician, Diploma या BE/B-tech के स्टूडेंट हैं या जॉब करते हैं तो आपको AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए? इस पोस्ट में आपके इस सवाल का आपको जवाब मिलेगा|

AutoCAD Electrical in Hindi
AutoCAD Electrical in Hindi

AutoCAD Electrical क्या हैं ?

AutoCAD Electrical एक Tool/Software है Autodesk का और Autodesk एक अमेरीकन कंपनी है जो Electrical, Electronics, Mechanical और Civil Architecture से संबन्धित Software बनाती है| AutoCAD Electrical Software की मदद से आप किसी भी तरह की Electrical Schematic Drawing या Electrical Panels को डिज़ाइन कर सकते हो, और जो panel आपने design किया होगा उसके लिए आप Bill of Materials Report, Components Report आदि भी Generate कर सकते हो|

AutoCAD Electrical Software में आपको हजारों Electrical & Electronic Symbols मिलते हैं जिनकी मदद से आप अपनी Drawing को बिल्कुल professional तरीके से बना सकते हो और उन सभी Symbols के footprints की मदद से आप Electrical Panel भी डिज़ाइन कर सकते हो| अगर आपको AutoCAD Electrical Software में किसी Component का Symbol नहीं मिलता है तो आप उस Component का Symbol खुद design करके Software में लिस्ट करवा सकते हो जिसको आप कभी भी अपनी drawing में इस्तेमाल कर सकते हो|

 AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए ?


AutoCAD Electrical Design
AutoCAD Electrical Design
अगर आप ITI Electrician, Electrical Diploma, BE/B-tech के विध्यार्थी हैं  या आप जॉब करते हैं तो आपको AutoCAD Electrical जरूर सीखना चाहिए क्यूंकि इस Software को सीखने से आप किसी भी तरह की Electrical Drawing और Electrical Panels को डिज़ाइन करना सीखते हो, आपको पता लगता है की जो Electrical drawing आप Industry में इस्तेमाल करने वाले हो या कर रहे हो वो कैसे बनती है और अगर आपको Electrical Drawing पढ़नी नही आती है तो आप Electrical Software को सीखने के बाद Electrical Drawing पढ़ना भी सीख जाते हो और हजारों Electrical & Electronics Symbols की भी आपको जानकारी हो जाती है, जिनका पता आपको आपकी किताबों से भी नहीं चलता, अगर आपको AutoCAD Electrical Software की अच्छे से जानकारी हो जाती  है तो आपको किसी भी Electrical Panels Manufacturing कंपनी में एक अच्छी ख़ासी जॉब मिल सकती हैं|

AutoCAD Electrical Softwa

re कैसे Download करें ?

AutoCAD Electrical Software को आप Autodesk की official website से download कर सकते हो, अगर आप जॉब करते हैं तो आपको ये AutoCAD Electrical Software 1 महीने के free trial के लिए मिलता है और उसके बाद अगर आप चाहें तो इसका paid license ले सकते हैं, अगर आप Student हैं तो AutoCAD Electrical Software का license आपको 1 साल के लिए free में मिल जाता है और अगर 1 साल के बाद भी आप eligible हुए तो आपके license का समय बड़ाया भी जा सकता है|


Autodesk हर साल AutoCAD Electrical Software का एक नया version निकालता है जैसे की AutoCAD Electrical 2020, AutoCAD Electrical 2021, AutoCAD Electrical 2022 और अभी latest AutoCAD Electrical 2023 Electrical 2024 है, आप AutoCAD Electrical Software के किसी भी version में सीख सकते हो या अगर आप चाहो तो अपने software को update भी कर सकते हो| AutoCAD Electrical Software को आप सिर्फ Laptop/Desktop पर ही इस्तेमाल कर सकते हो इसकी कोई Android App नहीं है|

मेरे पास Laptop/Desktop नहीं हैं, क्या मुझे AutoCAD Electrical सीखना चाहिए ?

AutoCAD Electrical Course in Hindi
AutoCAD Electrical in Hindi

ये सवाल बहुत से Students के मन में होता है किअगर मेरे पास laptop/desktop नहीं हैं तो क्या मुझे AutoCAD Electrical सीखना चाहिए या नहीं?आप AutoCAD Electrical के लिए Offline Institute जॉइन करते हैं और वहा सीखते हैं, लेकिन अगर आपके पास Laptop/Desktop नहीं हैं तो क्या आपने कभी सोचा हैं की Offline सीखने के बाद आप practice कैसे करोगे ? दो तरह के Students होते हैं, एक वो जो सच में सीखना चाहते हैं और उनके लिए knowledge ही सब कुछ हैं जो भविष्य में कभी ना कभी उनके काम आने वाली हैं और एक सही knowledge भविष्य में कभी ना कभी आपके काम जरूर आती हैं और दूसरे वो जिनको knowledge से कोई मतलब नहीं है उनको तो सिर्फ Certificate चाहिए ताकि वो अपने Resume में ज्यादा से ज्यादा Certificates दिखा सके जोकि उनके किसी काम नहीं आने वाला और इस बात की संभावना ज्यादा है कि  बिना knowledge के Certificates ऐसे बच्चों का नुकसान ही करेगी|

दोस्तों अगर आप सच में AutoCAD Electrical सीखना चाहते हैं और नई चीजें सीखना आपको अच्छा लगता है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आपके पास Laptop/Desktop हैं या नहीं लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा की आप AutoCAD Electrical कहाँ से सीख रहे हो? अगर आप किसी Offline Institute से इस कोर्स को सीख रहे हैं तब तो आपके पास Laptop/Desktop होना जरूरी है नहीं तो आपके कोर्स खत्म होने के बाद से लगभग 1 से 2 महीनों में ही आप सब भूल जाओगे और ये कोई Offline Institute वाला आपको नहीं बताएगा, लेकिन अगर आप कोई Online Course लेते हो तो ज्यादातर Online Courses lifetime Validity के होते हैं इसका मतलब है की वो कोर्स अब आपके पास Lifetime तक रहेगा तो जब आपका मन करे आप अपना Revision कर सकते हो और अगर आपको कोई ऐसा Online Course मिले जहां आपको lifetime course validity के साथ - साथ lifetime technical support भी मिलें, मतलब की आप lifetime कभी भी अपने doubts clear कर सको तो आपको ऐसे ही courses जॉइन करने चाहिए, ताकि भविष्य में आप कभी भी laptop/desktop लें तो आप practice कर सकें|

अगर आप भविष्य में सिर्फ Electrical Designer ही बनना चाहते हैं, जोकि सिर्फ 0.5 % लोग ही बन पाते हैं क्योकि इस सैक्टर में स्कोप ही इतना है तब तो आपके पास laptop/desktop होना ही चाहिए आप बिना laptop/desktop के offline या online कोई भी कोर्स जॉइन मत करो लेकिन अगर आप सिर्फ knowledge के लिए AutoCAD Electrical सीखना चाहते हैं ताकि आपको हजारो Electrical & Electronics Symbols, Schematic Drawing, Electrical Panels, Electrical Components, Electrical Drawing पढ़ना, Electrical Reports, Symbols कैसे design करते हैं आदि सीखना है तो जरूरी नहीं की आपके पास laptop/desktop होना ही चाहिए अगर नहीं भी हैं तो आपको फिर भी AutoCAD Electrical से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा|

AutoCAD Electrical कहाँ से सीखें ?

आप AutoCAD Electrical को offline या online कही से भी सीख सकते हैं, आजकल offline मार्केट में ऐसे बहुत से Institutes हैं जो सिर्फ 3 घंटों में या सिर्फ 2 दिन में AutoCAD Electrical सिखाने का वादा करते हैं, आपको ऐसे Institutes से बचना चाहिए ये एक ऐसा कोर्स है जो रेगुलर प्रैक्टिस मांगता है तो आपको कोई ऐसा Institute जॉइन करना चाहिए जो अच्छे से आपको समझाए और हो सके तो जिनसे आप कोर्स खत्म होने के बाद भी अपने doubts clear कर सको|

AutoCAD Electrical Software का online course इंग्लिश में तो आपको बहुत से मिल जाएंगे, लेकिन उन कोर्स को जॉइन करने के बाद अगर आपका कोई doubt होता है तो आप वहाँ अपने doubts clear नहीं कर सकते और अगर doubt clear भी होता हैं तो बहुत दिनों में जवाब मिलता हैं और AutoCAD Electrical Software के हिन्दी में बहुत ही कम course हैं|

AutoCAD Electrical Course in Hindi
AutoCAD Electrical Course in Hindi

अगर आप AutoCAD Electrical Software को बिल्कुल basic से advance तक सीखना चाहते हैं तो आप Learn EEE का AutoCAD Electrical का course जॉइन कर सकते हैं, Learn EEE के Android App में सभी courses के लिए अलग-अलग Groups बने हुए हैं जहां आप अपने doubts clear कर सकते हो, Android App में ही आप Direct Instructor को message करके अपना सवाल पूछ सकते हो और यहाँ आपको 20 मिनट के अंदर-अंदर सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा और अगर आप चाहें तो WhatsApp पर भी अपने doubts clear कर सकते हैं और आप इस course को Android App या laptop/desktop पर access कर सकते हैं| Android App में आप अपने lectures को Download करके Offline भी देख सकते हैं|

Learn EEE के सभी courses की validity lifetime रहती हैं और आप इन groups में भी lifetime तक रहते हो, अगर आपका कोर्स खत्म भी हो जाता हैं तो आप lifetime कभी भी इन groups में या WhatsApp पर अपने doubts clear कर सकते हो बाकी AutoCAD Electrical Course in Hindi के बारें में ज्यादा जानकारी के लिए आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं या फिर Learn EEE का Android App download कर सकते हैं| 


मुझे उम्मीद है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता लगा होगा की आपको AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए, फिर भी अगर आपका AutoCAD Electrical से संबन्धित कोई भी सवाल है तो हमें  Comment करके जरूर बताए आपकी मदद करने में हमें बहुत खुशी होगी |

अगर आप इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल ऑटोमेशन बिल्कुल आसान भाषा हिंदी में सीखना चाहते हैं तो आप हमारा यूट्यूब चैनल Learn EEE को नीचे लाल रंग के सब्सक्राइब  बटन पर क्लिक करके सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Why should we learn AutoCAD Electrical |AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए| Why should we learn AutoCAD Electrical |AutoCAD Electrical क्यों सीखना चाहिए| Reviewed by learn che on अगस्त 14, 2021 Rating: 5
Blogger द्वारा संचालित.