How does an inverter work in hindi? Inverter Working fully explain.

अगस्त 22, 2018
इंवर्टर कैसे कार्य करता है ? Inverter Working आज के समय में लगभग हर किसी के घरों में आपको Inverter मिल जाएगा| Inverter एक ऐसी Machine है, जिसको इस्तेमाल करने से हमको Electrical Energy में Backup मिल जाता है, और Inverter व् Battery की मदद से हमको 24 घंटे बिजली की सुविधा मिल जाती है| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते है, तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Inverter Working in hindi
Inverter

Inverter Working


Inverter एक ऐसी machine है जो D.C Energy को A.C Energy में बदलता है और A.C Supply को DC में बदलता है। Inverter इस्तेमाल करने का मुख्य कारण A.C Supply को D.C Supply में बदलना होता है। D.C Supply को A.C Supply ने बदलने के लिए Electronics Circuit का इस्तेमाल किया जाता है या फिर आजकल IGBT Base वाले Inverter Market में आ रहे है। इन Inverter में IGBT D.C Supply को A.C Supply में बदलने का काम करता है। जैसे कि हम सब जानते है कि D.C Supply ने Frequency Zero होती है और A.C Supply के लिए भारत में Frequency 50Hz है। Battery, Solar Panel या फिर किसी अन्य Source से मिलने वाली D.C Supply की Frequency IGBT की मदद से Zero से 50Hz की जाती है। Frequency 50Hz का मतलब है कि, मान लीजिए 12V DC Supply की 2 IGBT की मदद से Switching कराई जाती है और ये IGBT 1 second में 50 बार ON और OFF होते है जिसकी मदद से ये 12V D.C Supply, 12V A.C Supply में बदल जाती है। इस बदली हुई  12V AC Supply को Step Up Transformer की मदद से बड़ाया जाता है और फिर इस Supply को इस्तेमाल में लाया जाता है। इस प्रकार एक Inverter काम करता है और Inverter को Automatic बनाने के लिए उसमे कुछ Relay भी इस्तेमाल की जाती है, जैसा की आपने अपने घरों में देखा होगा जैसे ही AC Supply जाती है तो तुरंत Inverter ON हो जाता है और हमको Continue Supply मिलती रहती है। अब बात आती है A.C को DC में बदलने की तो इसके लिए Inverter में Rectifier लगे होते है। Battery Charge करने के लिए हमको 12V DC Supply की आवश्यकता होती है जोकि Inverter की मदद से किया जाता है। Inverter में एक Step Down Transformer लगा होता है जो सबसे पहले 220V AC को 12V AC में बदलता है उसके बाद Rectifier इस 12V AC को DC में बदलते है। Rectifier से DC बनने के बाद इस DC Supply को Capacitors की मदद से Pure DC Supply में बदला जाता है और फिर उसके बाद इस Voltage से Battery Charge की जाती है।

Why Inverter Important. (Inverter क्यों जरूरी है ?)


आज के समय मे अगर हम अपने घरों के Light और Fan जैसे Load को Solar Panel लगा कर Solar से जोड़ दे तो हम अपने घर का लगभग 75℅ बिजली का बिल बचा सकते हैं , इसके लिए हमको solar plate लगानी होती है। Inverter लगभग हम सभी के घरों में होते हैं  सोचिए अगर हम उस Inverter के साथ Solar Panel भी लगा ले तो हम कितनी बिजली बचा सकते है। Solar Panel Output में D.C Voltage देता है हम इस Voltage से अपनी Battery Charge कर सकते है और फिर उस Voltage को AC में बदलकर use में ले सकते हैं । 100W के Solar Panel की कीमत लगभग 4000 रुपए होती है। आप अपने घरों में Inverter, Battery के साथ - साथ Solar Panel भी लगा सकते हैं  इससे आपको 24 घण्टे Power तो मिलेगी ही साथ के साथ आपके घर का लगभग 75% बिजली का बिल भी बच सकता है।

अगर आप Inverter के बारे में ज्यादा डिटेल में जानना चाहते हैं  तो आप Wikipedia पर भी पढ़ सकते हैं ।

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Solar Photo-Voltaic Cell Working. Solar Power Plant. HINDI |fully explain|

अगस्त 19, 2018
Solar Photo-voltaic Cell Working. Solar Power Plant इस पोस्ट में हम Solar Photo-Voltaic Cell के बारे में बात करेंगे, की Solar Photo-Voltaic Cell किस तरह से काम करता है,और Solar Photo-Voltaic Cell किस तरह से सूरज की रौशनी को Electrical Energy में बदलता है| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Solar Photo-voltaic Cell Working Hindi
Solar Power Plant Installation

भारत में सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant in India)

आज के समय में भारत में solar power plant बहुत ही तेजी से बड  रहा है| क्योकि भारत में साल के लगभग 8 से 9 महीनों तक मौसम साफ़ रहता है और सूरज की रौशनी सीधे  धरती पर पड़ती है, इसलिए यहाँ पर Solar Power Plant को आजकल ज्यादा महत्व दिया जा रहा है| चलिए समझने की कोशिश  करते हैं  की Solar Power Plant किस तरह से काम करता है|

सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant)

Solar Photo-Voltaic Cell एक ऐसा Device है जो सूरज की रौशनी को सीधे ही Electrical Energy में बदलता है| Solar Photo-Voltaic Cell से जो Electrical Energy हमको मिलती है वो D.C (Direct Current) होता है, फिर उस D.C (Direct Current) को Inverter की मदद से A.C (Alternative Current) में बदलता है और फिर उस A.C को इस्तेमाल किया जाता है| 

सोलर फोटोवोल्टेक सेल (Solar Photo-Voltaic Cell)

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Neutral Wire in Our Home. HINDI Neutral Wire in Sub-Station

अगस्त 17, 2018
Neutral Wire in Our Home. कभी आपने सोचा है की जो Neutral Wire हमारे घरों तक आता है वो कहाँ से आता हैं ? ये सवाल अक्सर Interview में पूछ लिया जाता है की जो Neutral Wire हमारे घरों तक आता है वो Wire कहाँ से आता है | इस पोस्ट में आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा और ये टॉपिक आपका बहुत अच्छे से क्लियर भी हो जाएगा | अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं, तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Neutral Wire in sub stations
Neutral Wire

Electrical Transmission 

Electricity को Generate करने के बाद हमको इस वोल्टेज को Step up करके ट्रांस्मिट करना पड़ता है|, क्योकि हम Electricity 11KV में Generate करते हैं| अक्सर हमको लगता है की हम Neutral Wire को भी ट्रांस्मिट करते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है| हम A.C THREE PHASE SUPPLY, R Y और B को ही ट्रांसमिट करते है| Neutral Wire को ट्रांस्मिट ना करने का मुख्य कारण यह है कि हम पहले से ही Three Phase System को ट्रांस्मिट करते हैं  और अगर Neutral Wire को भी ट्रांस्मिट करना पड़ जाए तो एक Wire की Cost बड़ जाएगी इसलिए हम Neutral Wire को ट्रांस्मिट नही करते, इससे हमारी Transmission cost बड़ जाएगी और Neutral Wire को ट्रांसमिट करने की जरूरत भी नही होती।

Electrical Distribution

Electrical Transmission की तो हमने बात कर ली और ये भी जान लिया कि हम Neutral Wire को ट्रांस्मिट नही करते तो क्या हम Neutral Wire को Distribute करते है ? जी नही हम Neutral Wire को Distribute भी नही करते। जब Three Phase R, Y और B ट्रांस्मिट किया जाता है तो Sub station में Transformer लगे होते हैं  जो उस High Voltage को Step Down करते हैं  और फिर वह  Voltage Costumer को दी जाती है। लेकिन Sub-Station से भी Distribution के लिए सिर्फ तीन Wire ही आती हैं  Neutral Wire वहाँ से भी नही आता।


Neutral Wire

आपके घरों के आस पास कोई ना कोई Transformer जरूर लगा होगा, अगर वो Transformer कभी खराब हो जाता होगा तो आपकी घर की बिजली भी चली जाती होगी।
Delta Star Connection Transformer
Delta - Star Connection


आपके घरों में जो Neutral Wire आ रही है वो Wire उसी Transformer से आ रही है। होता ये है कि हम सिर्फ तीन wire को ही एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते है और जब हमको Customer को supply देनी होती है तो उस समय हम कुछ customer के लिए एक Transformer लगा देते है। आपने Transformer में Delta - Star Connection के बारे में जरूर पढ़ा होगा। Transformer में भी Primary side Delta Winding और Secondary side Star Winding की जाती है। Secondary side Star Winding करने का मुख्य कारण यह होता है की  Star Winding से हमको Neutral Wire मिल जाती है, तो इस प्रकार से हमको Neutral Wire मिल जाती है। अगर हम इसी Neutral Wire को Generating Station से लेकर आते तो सोचिए की  एक Wire की Cost बिना वजह बड़ जाती।



अगर आप इस टॉपिक के बारे में ज्यादा डिटेल में जानना चाहते हैं  तो आप Wikipedia पर पढ़ सकते हैं  |
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What is Rectifier and how it work in hindi. Bridge Rectifier

अगस्त 10, 2018
What is Rectifier and how it work in hindi. Rectifier एक ऐसा Electronics Component है जो आज के समय मे हर किसी Electrical and Electronics Appliances and Machines में इस्तेमाल होता है। Rectifier का मुख्य काम A.C (Alternative Current) को D.C (Direct Current) में बदलना होता है। इसको किसी भी Circuit में इसलिए ही इस्तेमाल किया जाता है ताकि हम A.C supply को D.C में बदल सकें। Rectifier को बनाने के लिए हम Diodes का इस्तेमाल करते हैं । Diodes ही एक ऐसा Component है जो A.C को सीधे D.C में बदलता है। Rectifier के भी कुछ प्रकार होते हैं , और इनको हम अपने Load के हिसाब से सेलेक्ट करते हैं । अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is Rectifier and how it work in hindi.
Bridge Rectifier

Rectifier के प्रकार (Types of Rectifier)


  1. Half Wave Rectifier
  2. Full Wave Rectifier
  3. Bridge Rectifier

1. Half Wave Rectifier

Half Wave Rectifier के Working Principle को जानने से पहले हम ये जानते हैं  कि Half Wave Rectifier बनते कैसे हैं । जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि Rectifier को बनाने के लिए हमें Diodes की जरूरत पड़ती है। Half Wave Rectifier को बनाने के लिए हम सिर्फ एक ही Diode को इस्तेमाल में लाते हैं। इस प्रकार के Rectifier कम power के लिए बनाए जाते हैं  और ज्यादातर इनको Single Phase Power Supply पर इस्तेमाल में लाया जाता है। जैसा कि हमको इसके नाम से ही पता लग रहा है कि Half Wave Rectifier A.C Supply की सिर्फ Half Wave को ही Rectify करता है। ये या तो A.C की Positive cycle को Rectify करेगा या फिर Negative cycle को। किसी भी एक cycle के Rectify हो जाने के बाद दूसरी cycle को ब्लॉक कर दिया जाता है, इस प्रकार इस Rectifier से हमको A.C की सिर्फ Half Wave ही Rectify होकर मिलती है।

2. Full Wave Rectifier


Full Wave Rectifier को बनाने के लिए दो Diodes का इस्तेमाल किया जाता है ये Rectifier, Half Wave Rectifier से ज्यादा power के होते हैं  और इनको भी single phase supply पर इस्तेमाल किया जाता है। full Wave Rectifier ज्यादातर इस्तेमाल किए जाते हैं  क्योंकि ये Rectifier, A.C Supply को बिल्कुल pure D.C Supply में बदल देते हैं । हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले T.V, Mobile Charger, D.C fan जैसे सभी उपकरणों में इन Rectifiers का इस्तेमाल किया जाता है।

3. Bridge Rectifier

Bridge Rectifier को हमेशा high power, accuracy और बिल्कुल pure D. C supply के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें चार Diodes का प्रयोग किया जाता है। Bridge Rectifier भी Full Wave Rectifier होता है। ये भी A.C Supply को बिल्कुल pure D.C Supply में बदलता है।

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Star and Delta Winding in Transformer Hindi. Star Delta winding

अगस्त 08, 2018
Star and Delta Winding in Transformer Hindi, Transformer में दो तरह की Winding होती है, Star and Delta. अब कौन सी Winding कहाँ पर की जाती है ये आपको इस पोस्ट में देखने को मिलेगा। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं,, क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Star and Delta Winding in Transformer Hindi.
Star and Delta Winding

Star Winding in Transformer

Star Winding को हम Distribution Transformer में इस्तेमाल करते हैं , Star Winding को इस्तेमाल करने का मकसद Neutral होता है। जैसे कि जो आपके घर के आस पास Transformer है वो एक Distribution Transformer है और उस Transformer में Star Winding की गई होगी। जब हमको Customer को Electrical Supply देनी होती है तो हम Customer को एक Phase Wire और एक Neutral Wire देते हैं, क्योंकि हमारे घरों का सभी load, Single Phase पर Operate होता है। लेकिन जब हम Industrial Areas में Electricity Distribute करते हैं  तो ज़्यादातर कंपनी  के खुद के Transformer होते हैं  और उन Transformer में Primary side Delta Winding और Secondary side Star Winding की गई होती है।

Delta Winding in Transformer



Delta Winding को Transmission में इस्तेमाल होने वाले Transformers में इस्तेमाल किया जाता है। इस जगह Star Winding इसलिए इस्तेमाल नही की जाती क्योकि यहाँ पर हमको Neutral Wire की कोई जरूरत नही होती। Delta Winding को इस्तेमाल करने से Transmission की Cost कम हो जाती है। हमारे घरों के आस पास लगे Transformer की Primary side Delta Winding होती है और Secondary side Star Winding होती है।


Star - Star Winding


Star - Star Winding में Transformer के दोनों side Star Winding होती है, मतलब की Transformer की Primary और Secondary दोनों side Star Winding इस्तेमाल की जाती है। इस प्रकार की Winding को भी ज्यादातर Distribution में इस्तेमाल किया जाता है।

Delta - Delta Winding


Delta - Delta Winding में Transformer के दोनों side मतलब की Primary side और Secondary side Delta Winding की जाती है। इस Winding को Transmission में इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि Transmission में Neutral की कोई जरूरत नही पड़ती।

Delta - Star Winding


Delta - Star Winding में Transformer के एक side Delta Winding और दूसरी side Star Winding की जाती है। Transformer के Primary side Delta और Secondary side Star Winding की जाती है। इस Transformer को Distribution में इस्तेमाल किया जाता है। आपके घरों के आस - पास जो Transformer होगा उसमें यही Winding इस्तेमाल की गई होगी।

Star - Delta Winding


Star - Delta Winding में Transformer के एक side Star Winding और दूसरी side Delta Winding की जाती है। Transformer के Primary side Star और Secondary side Delta Winding की जाती है। इस प्रकार की Winding वाले Transformer काफी कम इस्तेमाल किए जाते हैं ।

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What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi

अगस्त 07, 2018
What is Electrical Timer, Timer Working and Connection in Hindi:- Electrical Automation जैसे कि जब भी हम किसी Machine को चलाने के लिए या फिर किसी machine पर अगर 100 Operation होते हैं तो वो सभी Operation सिर्फ एक Switch को दबाकर हो रहे हो तो वो Automation है। Electrical Automation में Timer बहुत ज्यादा Important होता है। Timer, PLC (Programmable Logic Control) और RLC (Relay Logic Control) दोनों में इस्तेमाल किया जाता है। यहां आपको timer के Working और Connection के बारे में जानने को मिलेगा। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is Electrical Timer in Hindi, Timer Working and Connection in Hindi
Electrical Timer

Timer क्या है और Timer कैसे काम करता है (What is Timer ? Working Principle of Timer)


Timer एक ऐसी Device है जो कि किसी भी machine जैसे कि Motor etc. को कुछ समय के बाद बन्द कर दे या चालू कर दे। जैसे कि हम Star - Delta Starter में Motor को पहले Star में चलाते हैं  और फिर कुछ second के बाद delta में चलाते हैं , तो इसमें Star Contactor को off करके delta contactor को on करने का काम timer का होता है। माना हमने timer में 30 sec. का समय डाल दिया तो जैसे ही timer को supply voltage मिलेगी timer star contactor को ON कर देगा और फिर ठीक 30 sec. के बाद star को OFF करके delta contactor को ON कर देगा। Timer में A1 और A2 इसकी Coil के terminal होते हैं  जिसमे supply voltage देकर coil को magnetize किया है। आजकल Electronics Timer आते हैं , लेकिन इनके अंदर भी Relay इस्तेमाल किया जाता है और Relay की Coil को supply दी जाती है। Coil के Terminals के अलावा इसमें NO (Normally Open) और NC (Normally Close) भी होते हैं । जिसमे Connection करके हम किसी भी load को ON या OFF करवा सकते हैं ।

Timer की Coil ज्यादातर 220V AC में होती है। A1 और A2 वाले Terminal में Coil की wire जोड़ी जाती है। Phase wire को A1 में और Neutral Wire को A2 में जोड़ा जाता है। किसी - किसी Timer में दो NO और दो NC होते हैं  और किसी - किसी मे सिर्फ एक - एक ही NO, NC होते हैं । जिस timer में दो NO, NC होते हैं  उसमें दो slots होते हैं , जैसे कि पहले Slots में एक terminal comman, एक NO और एक NC होता है। comman वाले terminal में हम supply voltage का wire connect करते है  और जिस लोड हमने सिर्फ कुछ समय तक ही चलाना है उसके connection हम NC से करते हैं  और जिस load को हमने कुछ समय के बाद चलाना है उसको हम NO terminal से जोड़ते है। Timer में आपको Comman, NO और NC वाले terminals कौन से है जानने के लिए Timer में Circuit Diagram मिल जाएगा या फिर आप सीधे ही Multi-meter से check कर सकते हैं । इस प्रकार से आप किसी भी timer के connection कर सकते हैं ।

अगर आपके दिमाग  में Timer से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमसे Comment करके पूछ सकते हैं  या फिर Youtube पर हमारी videos भी देख सकते हैं , जिससे कि आपको और भी अच्छे से समझ में आ सके।

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Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? Transformer in DC Supply

अगस्त 05, 2018
Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ? जैसा कि हम जानते है Transformer, Faraday's के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Electromagnetic Induction) पर काम करता है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Why Transformer not used in DC Supply in Hindi ?
Transformer in DC Supply

Transformer A.C Supply पर काम करता है, इसमे कोई भी घूमने वाला भाग नही होता ये एक स्थिर मशीन है।
Transformer, को A.C Supply से कनेक्ट करने पर इसमें Resistance और Reactance की वजह से Impedance, Current को Control करता है। लेकिन DC Supply में ना तो Reactance होता है  और ना ही Impedance होता है। DC Supply में सिर्फ Resistance ही Current को Control करता है। AC Supply में Transformer की Primary Winding को supply से जोड़ने पर Transformer कोर में flux generate होता है जोकि core के चारो तरफ घूमने लगता है। Flux के चारों तरफ घूमने के कारण ये Flux Secondary Winding से भी link करता है। जब ये Secondary Winding से link करता है तो Secondary Winding में E.M.F पैदा हो जाती है और हमको output voltage मिल जाता है। लेकिन अगर हम transformer को DC supply से जोड़ेंगे तो उस समय Transformer की Primary Winding में जो Magnetic Flux बनेंगे वो Constant होंगे और Primary Winding के पास ही रहेंगे जिसकी वजह से Transformer की Primary Winding जल भी सकती है। दूसरा कारण ये है कि Transformer की Winding का Resistance कम होता है, और DC Supply में Current को सिर्फ Resistance ही Control करता है, Transformer  की Winding का Resistance कम होने की वजह से Winding ज्यादा Current लेगी और ज्यादा current लेने की वजह से Transformer की Primary Winding जल भी सकती है।



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Construction of Three Phase Induction Motor in Hindi. Three Phase Induction Motor

अगस्त 05, 2018
Construction of Three Phase Induction Motor in Hindi:- Three Phase Induction Motor, Industry में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है। क्योंकि इस Motor की Characteristics काफी अच्छी होती है। Three Phase Induction Motor के Rotor को अलग से किसी भी प्रकार की कोई भी Supply Voltage नही दी जाती बल्कि Induction की वजह से इसमे खुद ही E.M.F पैदा हो जाती है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Construction of Three Phase Induction Motor in Hindi.
Three Phase Induction Motor

थ्री फेज इंडक्शन मोटर के भाग (Parts of Three Phase Induction Motor)


  • स्टेटर (Stator)
  • रोटर (Rotor)



स्टेटर (Stator):- Stator, Three Phase Induction Motor का स्थिर भाग होता है। Motor की winding stator में ही की जाती है। stator सिलिकॉन स्टील (Silicone Steel) का बना होता है। इसको Silicone Steel की पतली -पतली परतों से मिलकर बनाया जाता है, और हर एक परत को Laminate करके पूरी तरह टाइट दबाकर बनाया जाता है। Stator में ही Three Phase की Winding की जाती है, और फिर इस stator को Cast Iron के फ्रेम में रखा जाता है। आपने अक्सर देखा होगा कि Three Phase Induction Motor की Body में बाहर की तरफ Slots कटे होते हैं , वही फ्रेम होता है जोकि Cast Iron का बना होता है। Slots बनाने का मुख्य कारण motor को Cooling Provide करवाना होता है, क्योकि जब मोटर चलती है तो उसमें कुछ heat losses होते हैं  जिसकी वजह से motor गर्म हो जाती है। Slots उस गर्मी को बाहरी की हवा के सम्पर्क में लाकर ठंडा कर देते हैं ।

रोटर (Rotor):- Three Phase Induction Motor में Rotor घूमने वाला भाग होता है, इस Motor में दो प्रकार के Rotor इस्तेमाल किए जाते हैं ।


  • स्क्रूयल केज रोटर
  • फेज वाइंड रोटर

जैसा कि हमने आपको बताया की  Three Phase Induction Motor में Rotor घूमने वाला भाग होता है। Rotor, Silicone Steel का बना होता है। silicone steel की हर एक परत तो laminate किया रहता है ताकि इसमे पैदा होने वाले Eddy Current और Hysteresis Losses को कम किया जा सके। Rotor के ऊपर अलग से कोई Winding नही की जाती  बल्कि इसके ऊपर Aluminum की Rods लगी होती है और Rods लगाने के बाद Rotor के दोनों सिरों को End Ring से Short कर दिया जाता है, यही इसकी Winding होती है। जब कभी आप किसी Motor के Rotor को देखेंगे तो आप उसमें Aluminum Rods आसानी से देख सकते है, उस Rotor में आपको Lining दिखेंगी वही Aluminium Rods होती है।

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What is Circuit Breakers in Hindi ? Types of Circuit Breakers in Hindi.

अगस्त 04, 2018
What is Circuit Breakers in Hindi ? Types of Circuit Breakers in Hindi:- सभी Electrical Machines को Protect करने के लिए Switchgears का इस्तेमाल किया जाता है। Switchgears में Circuit Breakers भी आते हैं  जो हमारे Electrical Circuit और Electrical Machines को Protect करती है। Protect करने से मतलब है कि ये Machines या Circuit को Overload, Short Circuit, Under Voltage, Over Voltage, Under Current व Over Current से बचाते हैं । जैसे कि Circuit Breakers को Sub-Station में Transformer से पहले लगाया जाता है, ताकि Transformer को Protection दिया जा सकें। वैसे तो हम अपने Electrical Circuit को Protect करने के लिए Fuse, MCB या MCCB का इस्तेमाल करते हैं  जोकि सभी Switchgears हैं , लेकिन जब High Voltage में Protection करने की बात आती है तो वहाँ पर Fuse, MCB या MCCB को इस्तेमाल नही किया जा सकता। Circuit में fuse के लगे होने पर, जब circuit में fault आता है तो fuse wire melt होकर Faulty circuit को supply से अलग कर देती है। इस condition में fuse को बदल कर ही circuit को दोबारा चालू किया जा सकता है। बार - बार fuse बदलने से इसकी cost बड जाती है, इसलिए high voltage (3.3KV से ऊपर) के लिए Circuit Breakars को इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते  हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is Circuit Breakers in Hindi ? Types of Circuit Breakers in Hindi.
Circuit Breakar

Circuit Breakers, faulty होने के समय faulty circuit को तुरंत supply voltage से अलग कर देते हैं  वो भी बिना कुछ  Damage हुए , और जब circuit ठीक हो जाता है तो ये अपने आप ही Supply ON कर देते हैं  या Supply ON, Manually भी किया जा सकता है। Circuit Breakers को Making Capacity और Short Circuit Rating के लिए Design किया जाता है। Making Capacity मतलब की जब circuit में fault हो तो उस समय जिस force के साथ circuit breaker, supply voltage को circuit से अलग करेगा वो force सहने की क्षमता देखी जाती है, और Short Circuit Rating मतलब की जब circuit में short circuit हो तो उस समय बहुत ज्यादा short circuit current पैदा होती है। उस short circuit current को सहन करने के लिए भी circuit breaker को design किया जाता है।

सर्किट ब्रेकर  के प्रकार (Types of Circuit Breakars)


  • एयर सर्किट ब्रेकर (Air Circuit Breakar A.C.B)
  • आयल सर्किट ब्रेकर (Oil Circuit Breakar O.C.B)
  • एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (Air Blast Circuit Breakar A.B.C.B)
  • वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vacuum Circuit Breakar V.C.B)
  • SF6



एयर सर्किट ब्रेकर (Air Circuit Breakar A.C.B):- ये Circuit Breakar ज्यादातर low voltage के लिए बनाए जाते हैं । जैसे की  अगर किसी Company के Control Panel से पूरी company की supply voltage control करनी हो तो वहाँ पर इस circuit breaker को इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योकि कंपनियों में ज्यादातर three phase 440V ही कंट्रोल करना होता है। इस circuit breaker में कांटेक्ट जब supply voltage को circuit से अलग करते है तो उस समय Sparking की वजह से Arc पैदा होता है। इस Arc को खत्म करने के लिए जब कांटेक्ट अलग हो रहे होते हैं  उस समय तेजी से हवा इनके  कांटेक्ट में जाती है जिससे arc पैदा होने का खतरा खत्म हो जाता है। इस circuit breaker में air के storage के लिए अलग से space होता है और air manually इससे निकले एक हैंडल से चार्ज करके भरी जाती है और जब circuit breaker के कांटेक्ट अलग होते हैं  तो तेजी से circuit breaker इस air को कांटेक्ट में डालता है।

What is Circuit Breakers in Hindi ? Types of Circuit Breakers in Hindi.
Oil Circuit Breakar (O.C.B)

आयल सर्किट ब्रेकर (Oil Circuit Breakar O.C.B):- ये एक कॉमन circuit breaker है, और इसको काफी इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपके घर के आस - पास कोई Sub-Station हो तो अगर आप वहाँ जाकर देखेंगे तो वहाँ आपको कई O.C.B देखने को मिलेंगी। O.C.B हमेशा high voltage जैसे की  11000V के लिए design किए जाते हैं । इस circuit breaker में अलग होने वाले कांटेक्ट तेल में डूबे होते हैं  जिसकी वजह से इनको Oil Circuit Breaker (O.C.B) कहाँ जाता है। अलग होने वाले कांटेक्ट तेल में डूबे होने के कारण arc पैदा नही होती हैं  क्योंकि ये तेल arc पैदा नही होने देता। इस circuit breaker में oil को इस्तेमाल करने के कई फायदे होते हैं  जैसे की  ये oil एक Insulator की तरह काम करता है और जब कांटेक्ट अलग होते हैं  तो उससे पैदा होने वाली गर्मी से कांटेक्ट गर्म हो जाते हैं , उस समय Oil Cooling Provide करता है और कांटेक्ट को ठंडा रखता है जिससे इनकी life बढ़ती है।

एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (Air Blast Circuit Breakar A.B.C.B):- इन circuit breaker को Transmission में इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि ये Extra High Voltage के लिए design किए जाते हैं  जैसे कि 400KV. इन Circuit Breakers में अलग होने वाले कांटेक्ट में air का ब्लास्ट किया जाता है। इसके लिए इसमें अलग से air compressor लगा होता है जो जरूरत पड़ने पर इसके कांटेक्ट में air blast करता है जिससे arc पैदा होने की कोई भी सम्भावना नही बनती।

वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vacuum Circuit Breakar V.C.B):- इन circuit breaker को भी high voltage के लिए design किया जाता है। इनमें अलग होने वाले कांटेक्ट जहां पर अलग होते हैं  वहाँ बिल्कुल भी हवा नहीं होती जिसकी वजह से arc पैदा नहीं  हो पाती क्योकि बिना ऑक्सीजन के arc पैदा नही हो सकती इसलिए ही अलग होने वाले कांटेक्ट के आस पास बिल्कुल भी हवा नहीं  होती।

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What is Fuse in Hindi, Types of Fuse in Hindi, HRC Fuse

अगस्त 03, 2018
What is Fuse in Hindi, Types of Fuse in Hindi:- Fuse एक Protective Device है, जो किसी भी Circuit को Protect करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। Fuse एक Wire होती है, जो Circuit के Current की क्षमता के हिसाब सेलेक्ट किए जाते हैं । Fuse Electrical और Electronics दोनों Circuits में इस्तेमाल किए जाते हैं । ये किसी भी Circuit में आवश्यकता से ज्यादा Current Flow नही होने देते। अगर Circuit में किसी कारण की वजह से आवश्यकता से ज्यादा Current Flow होती है तो ये Circuit को Supply से अलग कर देते हैं , इसलिए इनको Circuit का सबसे कमजोर भाग माना जाता है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते है |
What is Fuse in Hindi, Types of Fuse in Hindi
Fuse

Fuse का उपयोग (Uses of Fuse)


Fuse एक protective device है इसका उपयोग करने का बस एक ही कारण होता है, Circuit को Protect करना। जब भी हम किसी circuit के लिए fuse को select करते हैं , तो सबसे पहले अपने circuit के current लेने की क्षमता को  देख लेते है, और फिर Circuit के Current को देखते हुए  Fuse Select करते हैं । अगर कभी उस Circuit में कोई Short Circuit हो जाता है, तो इस दशा में Circuit में  बहुत ज्यादा Current Flow होने लगेगा, अगर उस circuit में कोई Protective Device ना लगाया गया हो तो वो Circuit खराब हो सकता है या जल भी सकता है क्योकि Circuit Overload होने पर बहुत ज्यादा ऊष्मा (heat) पैदा होती है। लेकिन Fuse के इस्तेमाल करने से Fuse wire heat के कारण जल जाती है और circuit बच जाता है, क्योकि fuse हमेशा किसी भी Circuit के series में लगाया जाता हैं। fuse wire हमेशा मिश्र धातु या फिर टिंड कॉपर (Tinned Copper) की बनी होती है, और fuse wire का melting point काफी कम रखा जाता है। fuse wire में वो ही धातु इस्तेमाल की जाती है जिसका melting point कम से कम हो।

Fuse Wire


Fuse wire का प्रतिरोध (Resistance) काफी कम होता है। इसके लिए उन धातुओ को ही इस्तेमाल किया जाता है, जिनका Resistance कम हो और Melting point भी कम से कम हो। Fuse wire चांदी, सोना, टिंड कॉपर और लैड व टिन की मिश्रधातु की बनाई जा सकती है। ज्यादातर fuse wire के लिए चांदी की तार का इस्तेमाल किया जाता है।

HRC Fuse


HRC Fuse भी एक साधारण fuse की तरह ही होता है, लेकिन ये दिखने में साधारण fuse से बिल्कुल अलग होते हैं। इन fuses में fuse wire एक पोर्सलीन के container के अंदर होते है, जिसमें fuse wire के साथ रेत भरी रहती है। इन fuses में Container के दोनों सिरों में दो terminal निकले होते हैं  जिसमे connection किया जाता है। HRC Fuse, High Rating के होते है। अगर कभी Circuit में कोई short circuit हो जाए तो इस केस में fuse wire से होती हुई बहुत ज्यादा current flow होगी और fuse wire गर्म होकर तेजी से उड़ जाएगा। इसलिए HRC Fuse की Fuse wire को Container में रखा जाता है, और Container में रेत भरा रहता है ताकि fuse wire उड़ने पर किसी तरह से आग लगने का खतरा ना रहे।

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What is Fuse in Hindi, Types of Fuse in Hindi, HRC Fuse What is Fuse in Hindi, Types of Fuse in Hindi, HRC Fuse Reviewed by Joshi Brothers on अगस्त 03, 2018 Rating: 5
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