What is Earthing in Hindi, Pipe Earthing and Plate Earthing in Hindi, All about Earthing in Hindi

अक्टूबर 31, 2018
What is Earthing in Hindi, Pipe Earthing and Plate Earthing in Hindi, All about Earthing in Hindi. Earthing जैसा की इसके नाम से ही पता लगता है, की ये Earth से Related है। किसी भी Electrical Machine या फिर किसी Electrical Appliances की Earthing करने का बस एक ही मकसद होता है और वो है Safety. किसी भी Electrical Machine में करंट ले जाने वाली तारों को छोड़कर बाकी Machine की पूरी बॉडी को Earth कर दिया जाता है। इसमें machine की बॉडी को एक अलग से Earth wire या फिर bus-bar की मदद से Earth कर दिया जाता है। अगर कभी किसी machine में Leakage Current होने लगे या फिर किसी वजह से live wire (करंट ले जाने वाली तारें) machine की body से touch हो जाए तो, ऐसी स्थिति में उस मशीन की body में भी current flow होने लगेगा, जोकि human body के लिए बहुत ही danger होगा। ऐसी स्थिति में अगर कोई इंसान इस मशीन की बॉडी को छूता है तो उस इंसान को Electric Shock लग सकता है, जिससे उसकी जान भी जा सकती है। इस सब से बचने के लिए जिन भी मशीन की बॉडी धातु की हो उनकी बॉडी को Earth कर दिया जाता है, इससे अगर मशीन की बॉडी में कोई leakage current आता भी है तो वो leakage current, Earth Wire की मदद से Earth हो जाएगा और किसी भी प्रकार की कोई भी हानि नही होगी। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

What is Earthing in Hindi, Pipe Earthing and Plate Earthing in Hindi, All about Earthing in Hindi
Pipe and Plate Earthing

Earthing and Earth Resistance (अर्थिंग और अर्थ रेजिस्टेंस)


किसी भी जमीन पर Earthing करने से पहले बहुत सी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है, और जिस जमीन पर Earthing की जानी है उस जमीन का Earth Resistance चेक करा जाता है, क्योकि साधारण जमीन का Earth Resistance 5 Ohm और पथरीली जमीन का Earth Resistance 8 Ohm से ज्यादा नही होना चाहिए। नीचे हमने कुछ Earth Resistance लिखे है उनको ध्यान में रखें-

  • पावर स्टेशन (Power Station) - 0.5 Ohm
  •  मेजर पावर स्टेशन (Major Power Station) - 1 Ohm
  • छोटे स्टेशन (Small Power Station) 2 Ohm
  • साधारण जमीन (Ordinary Soil) - 5 Ohm
  • पथरीली जमीन (Rocky Soul) - 8 Ohm
ऊपर दिए गए सभी Earth Resistance को ध्यान में रखें। क्योंकि Earth Resistance जितना कम होगा Earthing उतनी ही अच्छी होगी। earth resistance किसी भी condition में 8 Ohm से ज्यादा नही होना चाहिए।

अर्थिंग की टाइप्स (Types of Earthing)

जैसा की हमने जाना की हमारे लिए   Earthing कितनी जरुरी है, तो Earthing को भी दो हिस्सों में बांटा  जाता है| Industrial Earthing अलग होती है और Domestic Earthing अलग होती है, मतलब की घरों के लिए अलग प्रकार की Earthing की जाती है और Companies में अलग प्रकार की Earthing की जाती है| Earthing दो प्रकार की होती है-

  • पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
  • प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)

पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)

पाइप अर्थिंग को ज्यादातर घरों  में इस्तेमाल किया जाता है, pipe earthing को  घरो मे इस्तेमाल करने का मुख्य कारण यह है की ये plate earthing के मुकाबले सस्ती पड़ती है और आसानी से earthingकी जा सकती है| pipe earthing को करने के लिए 38mm का एक G.I pipe लिया जाता है जिसकी लम्बाई लगभग 2m रखी जाती है ये पाइप Earth Electrode का काम करता है| इस पाइप में हर 12mm के बाद छोटे - छोटे छेद किए जाते है, ताकि नमी बनी रहे| Earthing करने के लिए किसी नमी वाली जगह को चुना  जाता है और नमी वाली जगह में इस पाइप को दबा दिया जाता है| इस पाइप को जमीन में दबाते समय पाइप के चारों तरफ  नमक और कोयले की एक लेयर बना दी जाती है, नमक और कोयले को इसलिए बनाया  जाता है ताकि नमी बनी  रहे| इस Earth Electrode से लगभग 19mm का एक पाइप जोड़ा जाता है जोकि हमको earthing होने के बाद बाहर दिखाई देता है, ये पाइप भी एक G.I Pipe ही होता है| इस पाइप के ऊपर एक होल बना होता है जिसमे नट और वार्सल की मदद से earth wire जोड़ी जाती है|

प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)

Plate Earthing को ज्यादातर Industrial Area में और बड़े - बड़े फ्लैटों में इस्तेमाल किया जाता है| Plate Earthing को करने के लिए एक copper की प्लेट इस्तेमाल की  जाती है इसलिए ही इसको plate earthing कहा जाता है| plate earthing में copper की प्लेट Earth Electrode का काम करती है, और इसके लिए एक 60cm * 60cm * 3.18mm मोटी एक copper की प्लेट को लगभग 3m जमींन के नीचे  दबाया जाता है और इस प्लेट से एक 60cm * 60cm * 6.35mm का एक G.I Pipe लगाया जाता है| earthing plate को जमीन में दबाते समय प्लेट के चारो तरफ नमक और कोयले के एक के बाद एक लेयर लगाईं जाती है जिससे की प्लेट के चारों  तरफ नमी बनी भी रहे और साथ ही   साथ  earth resistance भी कम से कम रहे|

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What is Earthing in Hindi, Pipe Earthing and Plate Earthing in Hindi, All about Earthing in Hindi What is Earthing in Hindi, Pipe Earthing and Plate Earthing in Hindi, All about Earthing in Hindi Reviewed by Joshi Brothers on अक्टूबर 31, 2018 Rating: 5

PLC (Programmable Logic Control) in Hindi. PLC Working and Connection in Hindi. Full details about PLC in Hindi

अक्टूबर 19, 2018
अगर आप किसी Company में जॉब करते हैं तो आपको पता होता की आज के समय में PLC कितनी Important है इस पोस्ट में हम आपको basic knowledge of plc के बारे में बताएँगे, इस पोस्ट में आपको PLC (Programmable Logic Control) in Hindi. PLC Working and Connection in Hindi. के बारे में जानने को मिलेगा| अगर आपको ये पोस्ट पसंद आए तो आप हमको इस पोस्ट के नीचे  कमेंट करके जरूर बताना जिससे हमको पता लग सके की आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी ? अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते है | तो चलिए शुरू करते हैं -

PLC (Programmable Logic Control) in Hindi. PLC Working and Connection in Hindi.
PLC (Programmable Logic Controller)

What is plc (Programmable Logic Control). Programmable Logic Control क्या है?

जब से plc मार्किट में आयी है तब से Automation काफी बड गया है, अगर हम बात करें आज के समय में किसी भी electrical panel की तो हमारी कोशिश यही रहती है की उस पैनल को RLC (Relay Logic Control) की जगह PLC (Programmable Logic Control) में बनाया जाए क्यूंकि plc को इस्तेमाल करने से circuit बहुत ही सिंपल बन जाता है और मशीन बार बार खराब होने के चांसेस कम से कम हो जाते है| plc एक ऐसी device है जिसमे में अपने electrical circuit को program बना कर plc में डाल सकते है| plc के अंदर पहले से ही एक memory होती है जिसमे सारा program सेव होता है और रन होता है| plc के अंदर ही Electrical Timer, Contactor, Counter NO, NC और भी कई प्रकार के device पहले से ही लगे होते है, लेकिन अच्छी बात ये है plc के अंदर इतने सारे device होने के बाद भी plc का size ज्यादा बड़ा नहीं होता क्योकि इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी components का size बहुत ही छोटा होता है  जिसकी वजह से इसको आज के समय में बहुत जयादा इस्तेमाल किया है क्योकि plc में बने circuit, rlc में बने circuit के मुकाबले काफी भरोसेमंद होते है और सही से काम कर पाते हैं |


PLC Working and Connection in Hindi. (PLC कैसे काम करता है और इसके कनेक्शन कैसे किए जाते है?)

plc के अंदर हमारे mobile phone की तरह ही memory card होता है, लेकिन plc और mobile के memory card में इतना ही फर्क है की plc में storage MB में होता है और mobile में storage GB में होता है| plc के अंदर हम अपने laptop या फिर computer की मदद से program डालते है और फिर ये program, plc रन करता है| जो program हम plc में डालते है वो एक तरह से Electrical Connections होते है जिनको Ladder में Connection करके फिर Computer या Laptop की मदद से plc में डाल दिया जाता है। plc को चालू करने के लिए 220V AC Supply दी जाती है। और 24V DC Controlling के लिए दी जाती है। 24V DC plc को अलग से भी दी जा सकती है या फिर 24V DC plc से भी मिल जाती है। plc में 2 तरह से Module होते है, पहला है Input Module और दूसरा है Output Module. Input Module में Input signal दिए जाते है जोकि NO Switch, NC Switch, Sensors, Limit Switch, Temperature Control Devices, PID Controller या फिर Drive जैसे और भी कई तरह से दिया जा सकता है। जो input हम plc को देते है plc हमारे ladder connection के हिसाब से हमको Output Module से Output दे देता है। Output Module से मिलने वाली Output 24V DC में होती है और फिर इस 24V DC output को हम Relay Board में देते है जिसमें 24V DC की Relay लगी होती है। इन Relay के NO या fir NC वाले terminal से हम अपने AC या DC किसी भी Load को control कर सकते है। Load से हमारा मतलब Contactor से है, जितने Volt का contactor होगा उसी के हिसाब से Relay से Supply Voltage दी जाती है। PLC में दो तरह से Connection किए जा सकते है, पहला है Source Type Connection और दूसरा है Sink Types Connection. Source Types Connection में DC supply की Positive terminal को control किया जाता है, और Sink types connection में DC supply की Negative terminal को control किया जाता है। पहले जो plc आती थी वो या तो सिर्फ source types connection के लिए होती थी या फिर सिर्फ sink types connection के लिए होती थी, लेकिन आज के समय जितनी भी plc आती है वो सभी Source or Sink दोनों  तरह के connection के लिए होती है, और ये देखने के लिए आप plc पर देख भी सकते है सभी plc के ऊपर लिखा होता है s/s यानी कि इसमें source और sink दोनों तरह से connection किए जा सकते है।

PLC का Program कैसे बनता है? और PLC कौन - कौन सी Company की आती है?

जितनी भी Company, PLC बनाती हैं उन सभी Company के खुद के Software भी होते है, जिनमें PLC का Program बनाया जाता है। अगर PLC और Software अलग - अलग company के होंगे तो वो program उस दूसरी plc में काम नही करेगा। अब बात आती है कि कौन - कौन सी Companies PLC बनाती है, या फिर India में सबसे ज्यादा PLC किस Company की इस्तेमाल की जाती है।

अगर आप plc programming सीखना चाहते हैं  तो शुरुआत आप ऊपर  दी गई किसी भी एक plc से कर सकते है क्योकि ये plc सीखने के लिए भी बहुत अच्छी है, और आसान भी है| आप इन सभी plc companies की Website पर जा कर  इनके बारे में और भी ज्यादा जान सकते है और इनकी किसी भी plc का manual डाउनलोड करके पढ़ भी सकते है| 
अगर आप PLC Programming के बारे में ज्यादा जानना चाहते है या फिर अगर आप PLC Programming सीखना चाहते है तो आप हमारे YouTube Channel "Learn EEE" से सीख  सकते हैं ।

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PLC (Programmable Logic Control) in Hindi. PLC Working and Connection in Hindi. Full details about PLC in Hindi PLC (Programmable Logic Control) in Hindi. PLC Working and Connection in Hindi.  Full details about PLC in Hindi Reviewed by Joshi Brothers on अक्टूबर 19, 2018 Rating: 5

Function of Commutator in DC Generator and DC Motor in Hindi. All about Commutator in Hindi

अक्टूबर 13, 2018
Function of Commutator in DC Generator and DC Motor in Hindi. All about Commutator
इस पोस्ट में हम आपको DC Machine में इस्तेमाल होने वाले एक बहुत ही important device के बारे में बताने वाले है जिसको हम commutator कहते है| इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा  कि DC Generator और DC Motor में Commutator का क्या काम है| अगर आप किसी टॉपिक के बारे में हमसे जानना चाहते हैं  तो आप हमसे इस पोस्ट के नीचे  कमेंट करके पूछ सकते हैं  हम आपके सभी doubt क्लियर करने की कोशिश  करेंगे| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं  तो, आप हमें Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Function of Commutator in DC Generator and DC Motor in Hindi. All about Commutator in Hindi
Commutator Working 

Commutator Working in Hindi


एक DC Machine में Commutator बहुत जरूरी  होता है, क्योकि Commutator ही है जो DC Machines में बाहरी सर्किट से bushes की मदद से सप्लाइ  लेकर अंदर के सर्किट को supply देता है। Commutator, Armature में ही लगा होता है और एक Rotating Part होता है, जिसको bushes की मदद से सप्लाई दी जाती है और ये उस सप्लाई को Armature winding तक पहुँचता है। हमने आपको अपनी पिछली पोस्ट में lap winding और wave winding के बारे में बताया था, तो ये दोनों  ही प्रकार की winding armature में की जाती है और इन winding को commutator सेगमेंट से ही सप्लाइ वोल्टेज  दी जाती है।

Construction of Commutator. 


अगर Commutator के बनावट की बात की जाए तो commutator हार्ड ड्रोन कॉपर की पट्टी का बना होता है इस प्रकार हर एक पट्टी  एक दूसरे  से insulated होती है और ये अलग -अलग पट्टी  से बनकर तैयार होता है commutator और इस प्रकार से पूरा commutator, armature शाफ़्ट में लगा होता है और armature के साथ ही रोटेट भी होता है| commutator के हर एक सेगमेंट एक दूसरे  से insulated होते है हर एक सेगमेंट में armature winding को जोड़ने का arrangement भी किया होता है| हर एक सेगमेंट में armature winding को supply voltage देने के लिए winding का एक सिरे solder किया रहता है जिससे armature winding को supply voltage दी जा सके| |

Commutator का construction, DC Motor और DC Generator में बिल्कुल एक सामान रहता है लेकिन इन दोनो में commutator की थोड़ी सी working बदल जाती है dc motor में ये armature को supply voltage देने का काम करता है तो वही dc generator में ये generator से सप्लाइ वोल्टेज लेकर बाहरी सर्किट  को देने का काम करता है|

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What is Wave Winding in Hindi ? Definition and Types of Wave Winding in Hindi.

अक्टूबर 05, 2018
What is Wave Winding in Hindi ? Definition and Types of Wave Winding in Hindi.
जब भी DC Machines के Winding की बात आती है तो, Lap Winding और Wave Winding के बारे में जरूर बात की जाती है, क्योकि DC Machines में दो प्रकार की winding की जाती है, पहली है Lap Winding और दूसरी है Wave Winding. इस पोस्ट में हम Wave Winding के बारे में बात करेंगे ताकि इस टॉपिक से related आपके सभी doubt clear हो जाए। आपको ये पोस्ट कैसा लगा आपको इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके जरूर बताए और अगर आप हमसे किसी topic को समझना चाहते हैं  तो भी आप कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते हैं , हम आपके सभी doubts clear करने की कोशिश  करेंगे। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

What is Wave Winding in Hindi ? Definition and Types of Wave Winding in Hindi.
Wave Winding

What is Wave Winding. (वेव वाइंडिंग क्या है ?)


जैसा की हमने आपको बताया की DC Machine में दो प्रकार की Winding की जाती है, पहली है Lap Winding और दूसरी है Wave Winding.  हमने आपको अपनी पिछली पोस्ट में lap winding के बारे में बताया था इस पोस्ट में हम wave winding के बारे में बात कर रहे हैं| wave winding को हमेशा high voltage और low current के लिए प्रयोग किया जाता है, इस प्रकार की winding में भी winding commutator के सेगमेंट से ही शुरुवात होती है, winding करते समय पहली coil के लिए wire commutator के पहले सेगमेंट से शुरू  होती है लेकिन lap winding की तरह इसमें winding के सिरे पास पास नहीं होते बल्कि इस प्रकार की winding में सिरे कम्यूटेटर में दूर दूर होते हैं  जैसा की ऊपर आपको डायग्राम दिखाई दे रहा होगा हमने आपको ऊपर बताया की wave winding को हमेशा high voltage और low current के लिए प्रयोग  किया जाता है|

Types of Wave Winding (wave winding के प्रकार)

  • Simplex Wave Winding 
  • Multiplex Wave Winding 
Multiplex Wave Winding के कुछ प्रकार होते है-

  1. Duplex Winding 
  2. Triplex Winding 
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Open Loop and Closed Loop Control System in Hindi. Advantages and Disadvantages of Control System in Hindi

अक्टूबर 03, 2018
इस पोस्ट में हम आपको Open Loop and Closed Loop Control System . Advantages and Disadvantages of Control System के बारे में बता रहे हैं | आज के समय में अगर कोई Electrical Panel या कोई भी Electrical Circuit बनाया जाता है तो उस सर्किट में दो प्रकार के connection किये जाते है पहला है Open Loop Control System और दूसरा है Closed Loop Control System. इस पोस्ट में हम आपको इन दोनों ही control system के बारे मे बताएंगे| अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Open Loop and Closed Loop Control System in Hindi.
Open Loop and Closed Loop Control System


Open Loop Control System. 

Open Loop Control System को not feedback control system भी कहा जाता है क्यूंकि Open loop control system किसी भी प्रकार का कोई भी feedback signal या कोई भी error signal नहीं देता| open loop control system एक बहुत ही सिंपल सा स=सर्किट  होता है, जैसे की जो हमारे घरों में पानी गर्म करने वाला हीटर होता है वो हीटर open loop control system का एक उदाहरण  है| जब हम हीटर को चालू करते हैं  तो वो अपने working के अनुसार गर्म होना चालू हो जाता है लेकिन  temperature तब तक बढ़ता जाएगा जब तक हम उसकी सप्लाई बंद नहीं कर देते क्योकि एक सिंपल से हीटर में feedback देने के लिए कोई भी component नहीं लगा होता जो तापमान  को सेंस करके हीटर के सर्किट को फीडबैक दे, जिसकी वजह से हीटर का तापमान  तब तक बढ़ता जाता है जब तक उसकी सप्लाइ  को बंद नहीं किया जाता| इसी प्रकार हीटर की तरह ही open loop control system के कोई और भी उदाहरण  है जैसे की ceiling fan या फिर table fan.

Closed Loop Control System. 

Closed loop control system को feedback control system भी कहा जाता है क्योकि जो circuit closed loop control system में डिज़ाइन किये जाते है वो सर्किट feedback या error signal देते हैं | अगर हमको closed loop control system को समझना है तो हम अपने घरो के A.C (Air Conditioner) से समझ सकते है| जैसे की अगर हम अपने A.C को चालू करते हैं  तो सबसे पहले हम A.C में temperature सेट करते हैं की हमें  कितना तापमान  चाहिए, उसके बाद A.C में लगा Temperature Controller Sensor, room के तापमान  को सेंस करके A.C के सर्किट को feedback भेजता है और फिर A.C तब तक ठंडा  करता रहता है जब तक कमरे  का तापमान  हमारे द्वारा सेट किए गए तापमान  तक नहीं पहुंच जाता| जैसे की अगर हमने A.C में 16 डिग्री तापमान  सेट कर दिया तो A.C तब तक चालू रहेगा जब तक कमरे  का तापमान  16 डिग्री तक नहीं पहुंच जाता|

Advantages and Disadvantages of Open Loop and Closed Loop Control System


Advantages of Open Loop Control System
  • Open loop control system बिल्कुल  सिंपल होते है और इनकी काम  आसान होती है| 
  • open loop control system काफी किफायती होते है| 
  • इस प्रकार के control system का maintenance काफी आसान होता है और इस प्रकार के circuit में fault को ढूंदना  भी काफी आसान होता है| 
Disadvantages of Open Loop Control System
  • Open Loop Control System प्रॉपर सही से काम नहीं करते| 
  • इस प्रकार के system विश्वसनीय नहीं होते| 
  • इनकी working काफी धीमी  होती है या ये धीरे काम करते है| 
  • इस प्रकार के control system में अनुकूलन (Optimization) संभव नहीं है | 
Advantages of Closed Loop Control System
  • इस प्रकार के system विश्वसनीय होते है | 
  • इस प्रकार के control system बहुत फ़ास्ट होते है| 
  • इसमें अनुकूलन (Optimization) संभव है| 
Disadvantages of Closed Loop Control System 
  • Closed Loop Control System महंगे पड़ते है| 
  • इन control system का maintenance थोड़ा मुश्किल पड़ता है| 
  • इसका installation थोड़ा सा उलझा हुवा रहता है यानी की मुश्किल होता है| 
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Open Loop and Closed Loop Control System in Hindi. Advantages and Disadvantages of Control System in Hindi Open Loop and Closed Loop Control System in Hindi. Advantages and Disadvantages of Control System in Hindi Reviewed by Joshi Brothers on अक्टूबर 03, 2018 Rating: 5

What is Lap Winding in Hindi ? Definition and Types of Lap Winding in Hindi.

अक्टूबर 02, 2018
What is Lap Winding in Hindi ? Definition and Types of Lap Winding in Hindi.  जब भी DC Machines के Winding की बात आती है तो, Lap Winding और Wave Winding के बारे में जरूर बात की जाती है, क्योकि DC Machines में दो प्रकार की winding की जाती है, पहली है Lap Winding और दूसरी है Wave Winding. इस पोस्ट में हम Lap Winding के बारे में बात करेंगे ताकि इस टॉपिक से related आपके सभी doubt clear हो जाए। आपको ये पोस्ट कैसा लगा आपको इस पोस्ट के नीचे कमेंट करके जरूर बताए और अगर आप हमसे किसी topic को समझना चाहते है तो भी आप कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते है, हम आपके सभी doubts clear करने की कोशिश  करेंगे। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

What is Lap Winding in Hindi ? Definition and Types of Lap Winding in Hindi.
Lap Winding

What is Lap Winding. (लैप वाइंडिंग क्या है ?)


जैसा की हमने आपको ऊपर  बताया की DC Machines में दो प्रकार की Winding इस्तेमाल की जाती है| पहली है Lap Winding और दूसरी है Wave Winding. इस पोस्ट में हम Lap Winding के बारे में आपको बताएंगे| Lap Winding को High Current और Low Voltage के लिए इस्तेमाल किया जाता है| DC Machines में Winding Armature में की जाती है और इस Armature को Electrical Supply, Commutator के द्वारा दी जाती है, Commutator का काम Armature को Supply देना होता है। Commutator में अलग - अलग सेगमेंट बने होते हैं  और हर सेगमेंट से वायर winding की input wire जुड़ी होती है। lap winding इस प्रकार से की जाती है कि wire का पहला सिरा commutator के पहले सेगमेंट से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा दूसरे सेगमेंट से जुड़ता है। lap winding में winding करते समय winding के सिरे commutator के पास - पास वाले सेगमेंट में जुड़ते हैं  जिसकी वजह से ये high current और low voltage के लिए बनाया जाता है, जैसा कि आप ऊपर डायग्राम में देख सकते है।

Types of Lap Winding (Lap Winding के प्रकार)

Lap Winding के तीन प्रकार है।

  • Simplex lap winding.
  • Duplex lap winding.
  • Triplex lap winding.
Simplex lap winding

simplex lap winding में वाइंडिंग सिंपल तरीके से की जाती है, इस प्रकार की वाइंडिंग में वाइंडिंग का पहला सिरा commutator के पहले सेगमेंट से शुरु होता है और एक coil पूरी होने के बाद इस वाइंडिंग का दूसरा सिरा commutator के दूसरे सेगमेंट से जुड़ा होता है| इस प्रकार की वाइंडिंग में सिर्फ की ही coil होती है और इस coil के सिरे commutator के पास - पास वाले सेगमेंट में जुड़े होते है| 

Duplex lap winding

Duplex lap winding में भी वाइंडिंग commutator के पहले सिरे से सुरु होती है और फिर इस वाइंडिंग का दूसरा सिरा commutator के दूसरे सेगमेंट से जुड़ा होता है, simplex lap winding और duplex lap winding में सिर्फ इतना ही अंतर है की duplex lap winding में दो coil होती है| simplex lap winding में एक coil पूरी होने के बाद coil का दूसरा सिरा commutator के दूसरे सेगमेंट से जुड़ा होता है लेकिन duplex lap winding में पहली coil पूरी होने बाद दूसरी एक और coil होती है और यानी की दो coil पूरी होने के बाद फिर उन दोनो coils का सिरा commutator के दूसरे सेगमेंट से जुड़ा  होता है| 

Triplex Lap Winding 

Triplex lap winding, lap winding का प्रकार होने की वजह से इसकी वाइंडिंग भी commutator के पहले सेगमेंट से शुरू  होकर दूसरी वाइंडिंग पर ख़त्म होती है| इस प्रकार की वाइंडिंग में तीन coil होती है, इसमें वाइंडिंग commutator के पहले सेगमेंट शुरू होती है और तीन coil होने के बाद फिर उस वाइंडिंग का दूसरा सिरा commutator के दूसरे सेगमेंट से जुड़ता है इसलिए इस वाइंडिंग को triplex lap winding कहा जाता है|

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