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Types of DC Generator in Hindi, DC Series Generator, DC Shunt Generator, DC Compound Generator

जुलाई 28, 2018
Types of DC Generator in Hindi, DC Series Generator, DC Shunt Generator, DC Compound Generator:- जैसा की हम जानते हैं DC Generator एक ऐसी मशीन है जो Mechanical Energy को DC Electrical Energy में बदलता है| वैसे तो आज के समय में DC Generator काफी कम इस्तेमाल में लाए जाते हैं  फिर भी अगर हम इनके इस्तेमाल की बात करें DC Generator को Battery Charging, Electroplating, Labs etc में ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है| वैसे तो DC Motor और DC Generator का Construction एक जैसा होता है लेकिन Working Principle दोनों का अलग - अलग होता है | जहाँ DC Motor DC Electrical Energy को Mechanical Energy में बदलता है तो वही DC Generator Mechanical Energy को DC Electrical Energy में डालता है| किसी भी DC Generator में दो Winding होती है पहली Field Winding और दूसरी Armature Winding. अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं, तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |

Types of dc Generator in hindi, dc series Generator, dc Shunt Generator, dc Compound Generator
DC Generator

DC Generator के प्रकार (Types of DC Generator)

  • DC Series Generator.
  • DC Shunt Generator.
  • DC Compound Generator.


DC Series Generator:- DC Series Generator का उपयोग वहीं  पर किया जाता है, जहाँ पर स्थिर लोड (Constant Load) हो क्योकि इस Generator का Current, Load पर आधारित होता है। जैसे - जैसे लोड पड़ेगा Generator की Output Current भी बढ़ती चली जाएगी। इसलिए इन Generator को सिर्फ स्थिर लोड पर ही लगाया जाता है। जैसे DC Series Motor में दो Winding होती है, ठीक उसी प्रकार DC Generator में भी दो Winding होती है Field Winding और Armature Winding. इस Generator में Field Winding Armature के series में लगी होती है, जिसकी वजह से Armature Winding और Field Winding दोनों में एक सा Current Flow होता है। DC Series Generator में Field Winding मोटी तार कम टर्न और कम Resistance वाली होती है। इस Generator को चालू करने से पहले इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सभी लोड पहले से ही on होने चाहिए। अगर लोड off होंगे तो ये Generator चालू नही होगा। DC Series Generator को Distribution System में Booster की तरह उपयोग किया जाता है।

DC Shunt Generator:- DC Shunt Generator में भी दो Winding होती है, पहली Field Winding और दूसरी Armature Winding. इस Generator में Field Winding, Armature के Parallel में लगाई जाती है। field winding पतली तार व ज्यादा टर्न्स वाली होती है। इस Winding का Resistance भी ज्यादा होता है। field winding के Series में एक Resistance लगा होता है जोकि field winding का current और flux दोनों को control करता है। इस प्रकार field winding और resistance दोनों ही Armature के पैरेलल में लगे होते है। इस Generator की लागत काफी कम होती है और इसका साइज भी कम  होता है। Maintenance की दृष्टि से भी ये काफी अच्छे होते हैं , इनको कम देख रेख की आवश्यकता होती है और इनका voltage भी आसानी से control की  जा सकती  है, लेकिन जिस प्रकार DC Series Generator को लोड के साथ ही स्टार्ट किया जा सकता है, उस प्रकार DC Shunt Generator को स्टार्ट नही किया जा सकता। ये Generator लोड के साथ स्टार्ट नहीं होते।

DC Compound Generator:- DC Compound Generator में तीन Winding होती है। Series field winding, Shunt field winding और Armature winding. इस Generator की series field winding मोटी तार व कम टर्न्स की होती है, जिसका Resistance भी कम होता है। Shunt field winding पतली तार व ज्यादा टर्न्स वाली होती है जिसका Resistance ज्यादा होता है। इस Generator की दो types होती है।


  • Cumulative Compound Generator
  • Differential Compound Generator

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Types of DC Generator in Hindi, DC Series Generator, DC Shunt Generator, DC Compound Generator Types of DC Generator in Hindi, DC Series Generator, DC Shunt Generator, DC Compound Generator Reviewed by Joshi Brothers on जुलाई 28, 2018 Rating: 5

Types of DC Motor in Hindi, DC Series Motor, DC Shunt Motor and DC Compound Motor

जुलाई 27, 2018
जैसा कि हम सब जानते हैं कि, DC Motor DC Electrical Energy को Mechanical Energy में बदलती है। DC Motor को हम अक्सर Train, Tram, Crain, Tools, Toys etc. में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में लाते हैं । DC Motor भी कई प्रकार की होती है, तो हम कैसे पता करेंगे कि किस Motor को कहाँ पर इस्तेमाल करना है। इस पोस्ट में हम इसी के बारे में जानेंगे कि DC Motor कितने प्रकार की होती है और किस मोटर का क्या काम होता है ? अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
Types of dc Motor in hindi, dc series Motor, dc Shunt Motor, dc Compound Motor
DC Motor

DC Motor के प्रकार। (Types of DC Motor)



(1) DC Series Motor
(2) DC Shunt Motor
(3) DC Compound Motor

DC Compound Motor के भी तीन प्रकार होते है।

(i) Commutative Compound Motor
(ii) Differential Compound Motor


(1) DC Series Motor:- DC Series Motor की Field Winding, Armature के सीरीज में जोड़ी जाती है, इसीलिए इस मोटर को DC Series Motor कहते हैं। फील्ड वाइंडिंग मोटी तार की व कम टर्नस की होती है, जिसकी वजह से इसका Resistance कम होता है। इस मोटर को Field Winding और Armature Winding दोनों एक समान Current लेते हैं । मोटर बिना लोड के कम Current लेती है, और जैसे - जैसे लोड बढ़ता है Current भी बढ़ता जाता है। बिना लोड के इस मोटर को स्पीड बहुत ज्यादा होती है, लेकिन लोड के बढ़ने से कम हो जाती है। अगर Starting टार्क की बात करें तो स्टार्टिंग टार्क भी बहुत अधिक होता है, इसलिए इन मोटर्स को वहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पर high starting torque की जरूरत होती है और जहाँ पर लोड पहले से मोटर पर दिया रहता है। जैसे कि Metro Train यहाँ पर लोड पहले से ही मोटर पर होता है। इन motors का उपयोग Train, Tram, Crain, DC fan और Conveyors में सबसे ज्यादा किया जाता है, क्योकि यहाँ पर High Starting Torque चाहिए होता है और लोड पहले से ही Motor पर होता है।

(2) DC Shunt Motor:- इन Motor में Field Winding, Armature के Parallel में लगी होती है, और इन्हें DC Shunt Motor कहते हैं । इस Motor में field winding पतले तार की व अधिक टर्न की होती है, जिसकी वजह से field winding का Resistance अधिक होता है। इन Motors में Field Winding का Current एक समान ही रहता है लेकिन Armature Current लोड पर आधारित होता है। लोड बढ़ने पर बढ़ जाता है और लोड कम होने पर कम हो जाता है। इन मोटर की स्पीड पर लोड का कुछ ज्यादा प्रभाव नही पड़ता। बिना लोड के स्पीड ज्यादा होती है और लोड पड़ने पर थोड़ी सी कम हो जाती है। DC Shunt Motor का उपयोग ज्यादातर Tools में किया जाता है और लेथ मशीनों में भी इस मोटर को इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि इन मोटरों की स्पीड हमेशा लगभग एक समान ही रहती है।

Compound Motor:- इन Motors में फील्ड वाइंडिंग सीरीज और पैरेलल दोनों में होती है। सीरीज फील्ड वाइंडिंग मोटी तार और कम टर्न की होती है, इसका Resistance कम होता है। सीरीज फील्ड वाइंडिंग में करंट लोड पर आधारित होता है। कम लोड होगा तो सीरीज वाइंडिंग कम करंट लेगी और अगर ज्यादा लोड होगा तो फील्ड वाइंडिंग ज्यादा करंट लेगी। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग पतले तार व अधिक टर्न्स की होती है। इस वाइंडिंग का Resistance भी अधिक होता है। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग में करंट लगभग एक समान ही रहता है।
Compound Motor भी दो प्रकार के होते है:-

Cumulative Compound Motor:- Cumulative Compound Motor के सीरीज और पैरेलल वाइंडिंग में करंट एक ही दिशा में Flow होता है। इन मोटरों में स्पीड लोड पर आधारित होती है, बिना लोड के स्पीड अधिक होगी और लोड के बढ़ने के साथ - साथ कम हो जाएगी। इन मोटरों को वहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पर लोड एक दम से मोटर पर आ जाता है और फिर चला जाता है। जैसे हैमर, पंचिंग मशीन, शेयरिंग मशीन, लिफ्ट आदि।

Differential Compound Motor:- इन मोटरों में सीरीज और वाइंडिंग एक दूसरे का विरोध करते हैं । इन मोटरों में ज्यादा लोड होने पर फ्लक्स कम होगा और कम लोड होने पर फ्लक्स ज्यादा होगा। इन मोटरों की ये खासियत है कि इन मोटरों की बिना लोड के कम स्पीड होती है और जैसे - जैसे लोड बढ़ता है स्पीड भी बढ़ती जाती है। इन मोटरों को ज्यादातर Battery Charging के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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Types of DC Motor in Hindi, DC Series Motor, DC Shunt Motor and DC Compound Motor Types of DC Motor in Hindi, DC Series Motor, DC Shunt Motor and DC Compound Motor Reviewed by Joshi Brothers on जुलाई 27, 2018 Rating: 5

DC Motor Working Principle in Hindi, DC Motor Direction Changing Methods in Hindi

जुलाई 25, 2018
इस पोस्ट में हम दो topics के बारे में जानेंगे, DC Motor Working Principle in Hindi, और DC Motor Direction Changing Methods in Hindi, जैसा कि हमको पता है DC Motor, DC Electrical Energy को Mechanical Energy में बदलती है जोकि हमने पिछले पोस्ट में detail में discuss किया था। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
DC Motor Working Principle in Hindi
DC Motor Working Principle in hindi

DC Motor Working Principle in Hindi...

DC Motor मैग्नेटिक ड्रैग (Magnetic Drag) के सिद्धांत पर काम करती है। Magnetic Drag के सिद्धांत के अनुसार जब भी कोई करंट ले जाता हुआ  कंडक्टर चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Area) में रखा जाता है तो उस कंडक्टर में एक टार्क पैदा होता है, जो उस कंडक्टर को मुख्य चुंबकीय अक्ष के 90° पर घुमाने की कोशिश करता है।

DC Motor Direction Changing Methods:-

कोई बार ऐसा होता है कि हमको अपने मोटर Direction Change करनी पड़ जाती है। DC Motor की Direction 2 तरह से बदली जा सकती है:-

(1) जो मुख्य चुंबकीय फील्ड है उसकी दिशा बदलकर और
(2) आर्मेचर में करंट की दिशा बदलकर।


(1) चुंबकीय फील्ड की दिशा बदलकर:- इस Method में हम DC Motor में चुंबकीय फील्ड की दिशा बदल देते हैं , जब चुंबकीय फील्ड की दिशा बदल जाती है तो उसकी वजह से मोटर की धूमने की दिशा भी बदल जाती है। माना, पहले से मोटर में N और S पोल जहाँ है उसकी जगह पर S और N कर दिया जाता है।

(2) आर्मेचर में करंट की दिशा बदलकर:- इस Method में हम मोटर के आर्मेचर को दी जाने वाले DC Voltage की दिशा को बदल देते हैं  जिससे मोटर के घूमने की दिशा बदल जाती है। पहले हमने जिस वायर में Positive और Negative Connection किए थे अब इन कनेक्शन को बदल कर Positive की जगह Negative और Negative की जगह Positive करने से मोटर के घूमने की दिशा बदल जाती है।

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DC Generator Working Principle in Hindi. DC Generator Construction in Hindi

जुलाई 16, 2018
DC Generator एक ऐसी DC Machine है, जो Mechanical Energy को DC Electrical Energy में बदलती है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं , क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
DC Generator Working Principle in Hindi.
DC Generator

DC Generator का Working Principle

DC Generator फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्सन के सिद्धांत पर काम करता है। फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्सन के अनुसार  जब भी कोई चालक (Conductor) किसी चुम्बकीय बल रेखाओं  को काटता है या काटने की कोशिश  करता है तो उन चालको (Conductors) में EMF पैदा होती है, और ये EMF फ्लक्स (Flux) परिवर्तन की दर और उन चालकों की संख्या के समानुपाती (Proportional) होती है।

DC Generator के मुख्य भाग:-


(1) स्टेशनरी भाग (Stationary Parts)
(2) रोटेटिंग भाग (Rotating Parts)

(1) स्टेशनरी भाग (Stationary Parts):- ये DC Generator के वह भाग होते है जो DC Generator के चलने की स्थिति में स्थिर रहते हैं , इस दौरान Generator के इन भागों में किसी भी प्रकार का कोई Movement नहीं  होता, और ये भाग है:-

(a) बॉडी (Body):- Body Generator का वह भाग होता है जिसमें पूरा Generator Cover किया जाता  है| इसमें Generator की Armature Winding, Field Winding और शाफ़्ट सभी Body से कवर होते हैं । आज कल body ज्यादातर Fabricated Steel की बनाई जाती है।


(b) आई - बोल्ट (Eye Bolt):- Eye Bolt, Generator body के सबसे ऊपर वाले भाग में लगा होता है। इसको लगाने का मुख्य कारण यही होता है, की जब भी Generator को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना हो तो Eye Bolt की मदद से उठाकर ले जाया जा सकता है। Eye Bolt Generator के साइज पर निर्भर करता है कि कितना बड़ा या कितने Eye Bolt लगाने है। वैसे Eye Bolt सभी मशीनों में लगाए जाते हैं ।

(c) पोल (Pole):- Pole कास्ट आयरन या नर्म स्टील को lamination करके  बनाया जाता है, ये या तो body पर फिक्स किये रहते हैं  या फिर body से अलग होते हैं ।

(d) योक (Yoke):- ये DC Generator के Construction करने वाले पर निर्भर करता है कि वो एक Generator में Yoke और body दोनों लगाता है या इनमें से कोई एक क्योकि कभी-कभी या तो Yoke लगा रहता है या फिर Body होती है। Yoke, Magnetic Flux के लिए एक आसान रास्ता बनाने का काम करता है।

(d) ब्रश और ब्रश गियर (Brush or Brush Gear):- Brush का मुख्य काम Generator के Commutator से Supply Voltage लेकर उसको बाहरी Circuit को देना होता है। शायद आपने Hand Grill Machine में Brush देखें हो, उसमें जो Brush लगते हैं  वो Carbon Brush होते हैं , जिनका काम बाहरी Circuit से Voltage लेकर Armature को देना होता है।

DC Generator में तीन प्रकार के Brush प्रयोग किए जाते हैं ।

(i) कॉपर ब्रश (Copper Brush):- Copper Brush ज्यादातर, ज्यादा Rating वाले यानी कि बड़े  Generators में इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि Copper होने की वजह से ये काफी Hard होते हैं , जिसकी वजह से Commutator के खराब होने की सम्भावनाएं बड़ जाती हैं , और जिनका Resistance भी कम होता है।
(ii) कार्बन ब्रश (Carbon Brush):-  जैसा कि हमने ऊपर बताया था कि Carbon Brush, Drill Machine में भी इस्तेमाल किए जाते हैं । carbon brush सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाले brush होते हैं , क्योकि इनके इस्तेमाल से Commutator को  कोई नुकसान नहीं  होता ये Copper Brushs की तरह hard नही होते।

(iii) कॉपर और कार्बन ब्रश (Copper or Carbon Brush):- Copper or Carbon Brush को High Rating के Generators में इस्तेमाल किया जाता है। इनको Copper और Carbon के मिश्रण से बनाया जाता है।

(e) साइड कवर (Side Cover):- Side Cover, Generator की Body को कवर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें Bearing लगे होते हैं  जोकि शाफ़्ट को सही से center में रखते हैं ।

(f) बेयरिंग (Bearing):- किसी भी Machine में Bearing को इस्तेमाल करने का मुख्य कारण Machine के चलते समय घर्षण कम करना होता है। घर्षण के होने से Losses होते हैं  और घर्षण जितना कम किए जा सकें उतनी ही Machine की लाइफ बढ़ती है। Bearing को DC Generator में भी घर्षण कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और इनके इस्तेमाल से मशीन की Smoothness भी बढ़ जाती है।

बेयरिंग (Bearing) के भी तीन प्रकार होते हैं :-

(i) स्लीव बेयरिंग (Sleeve Bearing):- Sleeve Bearing का इस्तेमाल कम Rating या छोटे Generators में किया जाता है।

(ii) बाल बेयरिंग (Ball Bearing):- Ball Bearing सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला Bearing है। इसके अंदर छोटे - छोटे Balls लगे होते हैं  जिनमे ग्रीस लगाकर इनकी चिकनाई और Smoothness और भी ज्यादा बड़ाई जाती है।

(iii) रोलर बेयरिंग (Roller Bearing):- Roller Bearing, high Rating के Generators के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं । इन Bearings को ज्यादा से ज्यादा वजन सहन करने के लिए design किया जाता है और ये काफी समय तक चलते हैं ।

(2) रोटेटिंग भाग (Rotating Parts):- ये भाग DC Generator के वो भाग होते हैं  जो DC Generator के चलते  समय Movement करते हैं , और ये भाग है:-

(a) आर्मेचर (Armature):- DC Generator में Armature एक Rotating Part होता है। Armature Magnetic Area में घूमता है। इसमें winding के लिए slots बने होते हैं , जिनमे armature winding की जाती है। Armature, Silicone Steel को Laminate करके बनाया जाता है, ताकि Eddy Current Losses और Hysteresis Losses को कम किया जा सके।

(b) कम्यूटेटर (Commutator):- Commutator हार्ड कॉपर का segment होता है और हर एक segment एक दूसरे से laminate करके shaft पर लगे होते हैं । Commutator की मदद से ही Generator, Brush को output voltage देता है और फिर Brush उस voltage को बाहरी circuit तक पहुंचा  देते हैं ।

(c) पंखा और शाफ़्ट (Fan and Shaft):- shaft and fan भी DC Generator के Rotating भाग होते हैं । fan, Commutator के opposite side में लगा होता है ये Generator को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। fan cast iron के बने होते हैं । shaft पर Fan, Armature, Commutator और Bearing लगे होते हैं । shaft को mild steel से बनाया जाता है।

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What is DC Motor in Hindi, Where use DC Motor in Hindi

जुलाई 14, 2018
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि DC Motor क्या होती है, और DC Motor को कहाँ - कहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते हैं , तो आप हमें  Instagram पर Follow कर सकते हैं, क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं  |
What is DC Motor in Hindi, Where use DC Motor in Hindi
What is DC Motor in Hindi, Where use DC Motor in Hindi

DC Motor एक ऐसी Machine है जो DC Electrical Energy को Mechanical Energy में बदलती है। DC Motor और DC Generator की बनावट एक समान होती है लेकिन इनका कार्य एक दूसरे से बिल्कुल अलग होता है। एक तरफ जहां DC Motor DC Electrical Energy को Mechanical Energy में बदलता है, तो वही DC Generator Mechanical Energy को DC Electrical Energy में बदलता है।


DC Motor Uses...

आज के समय मे DC Motor को काफी इस्तेमाल में लाया जाता है, क्योकि इनके इस्तेमाल से Electrical Energy को बचाया जा सकता है। dc motor तीन प्रकार की होती है और इसी के आधार पर इनको काम मे लिया जाता है।

(1) DC Series Motor....

 DC Series Motor की Field Winding, Armature के सीरीज में जोड़ी जाती है, इसीलिए इस मोटर को DC Series Motor कहते हैं । फील्ड वाइंडिंग मोटी तार की व कम टर्नस की होती है, जिसकी वजह से इसका Resistance कम होता है। इस मोटर को Field Winding और Armature Winding दोनों एक समान Current लेते हैं । मोटर बिना लोड के कम Current लेती है, और जैसे - जैसे लोड बढ़ता है Current भी बढ़ता जाता है। बिना लोड के इस मोटर कि  स्पीड बहुत ज्यादा होती है, लेकिन लोड के बढ़ने से कम हो जाती है। अगर Starting टार्क की बात करें तो स्टार्टिंग टार्क भी बहुत अधिक होता है, इसलिए इन मोटर्स को वहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पर high starting torque की जरूरत होती है और जहाँ पर लोड पहले से मोटर पर दिया रहता है। जैसे कि Metro Train यहाँ पर लोड पहले से ही मोटर पर होता है। इन मोटरों का इस्तेमाल Crain, Train, Tram, Fan, Trolley और Conveyor जैसी और भी बहुत जगह किया जाता है।

(2) DC Shunt Motor...

इन Motor में Field Winding, Armature के Parallel में लगी होती है, और इन्हें DC Shunt Motor कहते है। इस Motor में field winding पतले तार की व अधिक टर्न की होती है, जिसकी वजह से field winding का Resistance अधिक होता है। इन Motors में Field Winding का Current एक समान ही रहता है लेकिन Armature Current लोड पर आधारित होता है। लोड बढ़ने पर बढ़ जाता है और लोड कम होने पर कम हो जाता है। इन मोटर की स्पीड पर लोड का कुछ ज्यादा प्रभाव नही पड़ता। बिना लोड के स्पीड ज्यादा होती है और लोड पड़ने पर थोड़ी सी कम हो जाती है। इन मोटरों का उपयोग ज्यादातर Tools को बनाने के लिए किया जाता है ।

(3) DC Compound Motor.

इन Motors में फील्ड वाइंडिंग सीरीज और पैरेलल दोनों में होती है। सीरीज फील्ड वाइंडिंग मोटी तार और कम टर्न की होती है, इसका Resistance कम होता है। सीरीज फील्ड वाइंडिंग में करंट लोड पर आधारित होता है। कम लोड होगा तो सीरीज वाइंडिंग कम करंट लेगी और अगर ज्यादा लोड होगा तो फील्ड वाइंडिंग ज्यादा करंट लेगी। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग पतले तार व अधिक टर्न्स की होती है। इस वाइंडिंग का Resistance भी अधिक होता है। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग में करंट लगभग एक समान ही रहता है। Compound Motor भी दो प्रकार के होते है:-


(i) DC Commutative Compound Motor...

Cumulative Compound Motor के सीरीज और पैरेलल वाइंडिंग में करंट एक ही दिशा में Flow होता है। इन मोटरों में स्पीड लोड पर आधारित होती है, बिना लोड के स्पीड अधिक होगी और लोड के बढ़ने के साथ - साथ कम हो जाएगी। इन मोटरों को वहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पर लोड एक दम से मोटर पर आ जाता है और फिर चला जाता है। इस प्रकार की मोटरो का उपयोग Sewing Machine, Pinching Machine, Power Hammer और Press जैसी कई मशीनों में किया जाता है।

(ii) Differential Compound Motor...
इन मोटरों में सीरीज और वाइंडिंग एक दूसरे का विरोध करते हैं । इन मोटरों में ज्यादा लोड होने पर फ्लक्स कम होगा और कम लोड होने पर फ्लक्स ज्यादा होगा। इन मोटरों की ये खासियत है कि इन मोटरों की बिना लोड के कम स्पीड होती है और जैसे - जैसे लोड बढ़ता है स्पीड भी बढ़ती जाती है। इस प्रकार की मोटरों का उपयोग बहुत कम किया जाता है ये मोटरें ज्यादा तक Battery को Charge करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

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