Alternator Working Principle in Hindi, All About Alternator in Hindi:- जिस प्रकार DC Motor और DC Generator का Construction एक सा होता है लेकिन Working Principle अलग-अलग होता है, ठीक उसी प्रकार Alternator और Synchronous Motor का भी Construction एक सा लेकिन Working Principle अलग - अलग होता है। Alternator एक ऐसी Machine है जो Mechanical Energy को A.C Electrical Energy में बदलती है। Alternator को हम A.C Generator भी कहते है। अगर आप हमारी सभी latest पोस्ट का update पाना चाहते है, तो आप हमको Instagram पर Follow कर सकते है, क्योकि सभी latest पोस्ट हम Instagram पर update करते रहते हैं |
Alternator का Working Principle. (Working Principle of Alternator)
Alternator फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Electromagnetic Induction) के सिद्धान्त पर काम करता है। फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Electromagnetic Induction) के अनुसार जब कभी भी कोई चालक (Conductor) चुम्बकीय बल रेखाओ को काटता है, तो उस चालाक (Conductor) में ई.एम.एफ (EMF) पैदा हो जाती है, और ये EMF फ्लक्स परिवर्तन की दर (Rate of Changing Flux) और चालको (Conductors) की संख्या के समानुपाती होती है। इसी सिद्धान्त पर Alternator भी काम करता है।
Alternator के भाग (Parts of Alternator)
Alternator के मुख्य तीन भाग होते है।
- स्टेटर (Stator)
- रोटर (Rotar)
- एक्साइटर (Excitor)
स्टेटर (Stator):- स्टेटर Alternator का स्थिर भाग (Stationary Part) होता है। स्टेटर में Alternator की आर्मेचर वाइंडिंग की जाती है और फिर स्टेटर को Alternator फ्रेम से कवर किया जाता है। Alternator फ्रेम Alternator की Capacity के अनुसार बना होता है। जितना ज्यादा Capacity का Alternator होगा उसमें Cooling के उतने ही ज्यादा इंतेजाम किए जाते हैं । जैसे कि Alternator की Body में Slots बने होते हैं जिससे कि Alternator को Cooling Provide करवाई जा सके। Alternator के स्टेटर में कई तरह से वाइंडिंग की जाती है। Alternator के Capacity के अनुसार इसमे भी Slotes बने होते हैं। जैसे कि ओपन टाइप, क्लोज टाइप, सेमिक्लोज़ टाइप etc. ओपन टाइप स्लॉट में ऊपर से नीचे तक एक समान रहता है और इसी में Stator Winding की जाती है। क्लोज टाइप स्लॉट में ऊपर और नीचे दोनों तरफ से स्लॉट बन्द होते हैं , और इस टाइप की Winding वाले Alternator हमेशा High Capacity के होते हैं। सेमिक्लोज़ टाइप में स्लॉट की चौड़ाई ऊपर से कम और नीचे से ज्यादा होती है। और कई प्रकार के स्लॉट्स स्टेटर वाइंडिंग के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं जोकि स्टेटर के Construction और Alternator के Capacity पर निर्भर करता है।
रोटर (Rotor):- Alternator में दो प्रकार के रोटर इस्तेमाल किए जाते है।
- सैलियन्ट पोल टाइप।
- स्मूथ सिलिंडरिकल टाइप।
सैलियन्ट पोल टाइप:- इस प्रकार के रोटर ज्यादातर कम Capacity वाले Alternators के लिए प्रयोग किए जाते हैं । इनका व्यास (Diameter) ज्यादा होता है जिसकी वजह से इन रोटर्स की स्पीड कम ही रहती है, स्पीड कम रहने का एक कारण ये भी है कि इन रोटर में पोलो की संख्या भी ज्यादा रहती है जिसकी वजह से इनकी स्पीड कम रहती है और इनको कम Capacity वाले Alternators में इस्तेमाल किया जाता है।
स्मूथ सिलिंडरिकल टाइप:- इस प्रकार के रोटर्स को हमेशा high speed के लिए प्रयोग किया जाता है। इन रोटरों की लंबाई अधिक होती है और व्यास कम होता है जिसकी वजह से इनको high RPM पर भी चलाया जा सकता है। इनकी स्पीड 1500 से 3000 RPM तक बड़ाई जा सकती है। ये हमेसा फोर्ड स्टील के बने होते हैं जिसकी वजह से इनकी लाइफ भी बड़ जाती है।
एक्साइटर (Excitor):- Alternator के पोलो की वाइंडिंग को एक्साइट करने के लिए एक्साइटर की जरूरत पड़ती है। एक्साइटिंग वोल्टेज 125 से 250V तक होती है, और ये DC Shunt या DC Compound Generator से दी जाती है।
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Alternator Working Principle in Hindi, All About Alternator in Hindi
Reviewed by Joshi Brothers
on
अगस्त 01, 2018
Rating:

Super la ge
जवाब देंहटाएंSir induction motor . Transformers & generator k liye koi book bataiye English me..
जवाब देंहटाएंAur diagram samjhne k liye koi book bataiye🙏🏻